...ताकि मोदी सरकार की तरह दौड़ें भाजपा की राज्य सरकारें
प्रधानमंत्री और शाह ने उन्हें सुशासन और गरीबों व युवाओं की अपेक्षा पर तेज गति से बढ़ने का निर्देश दिया।
आशुतोष झा, नई दिल्ली। हार्ड टास्क मास्टर माने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चाहते हैं कि राज्यों में उनकी सरकारें भी तेज गति से उसी रास्ते पर सरपट दौड़े जिसे केंद्र सरकार ने तैयार किया है। इसी लिहाज से पार्टी के सभी तेरह मुख्यमंत्रियों की 12सूत्री फार्मूले पर समीक्षा की गई। लगभग साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक में राज्य सरकारों का प्रधानमंत्री कार्यालय से समन्वय से लेकर सोशल मीडिया पर सक्रियता, संगठन के साथ सामंजस्य, गरीब कल्याण योजना में प्रगति जैसे मुद्दों पर समीक्षा हुई।
जबकि प्रधानमंत्री और शाह ने उन्हें सुशासन और गरीबों व युवाओं की अपेक्षा पर तेज गति से बढ़ने का निर्देश दिया। बैठक में उन राज्यों के उप मुख्यमंत्री भी मौजूद थे जहां ऐसी व्यवस्था की गई है। नीति आयोग में देश के सभी मुख्यमंत्रियों से रूबरू होने के बाद प्रधानमंत्री भाजपा के मुख्यमंत्रियों के साथ देर रात तक बैठे। बताते हैं कि मुख्यमंत्रियों के सामने 12 सूत्री एजेंडा रखा गया था जिसपर उन्हें पांच मिनट का प्रजेंटेशन देना था और और फिर अपनी बात कहनी थी। उनके लिए कुल वक्त 10 मिनट का मुकर्रर था।
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पहला बिंदु पीएमओ से समन्वय का था। मुख्यमंत्रियों से पूछा गया कि राज्यों के रेजीडेंट कमिश्नर पीएमओ के ओएसडी से संपर्क में हैं या नहीं। उसी तरह मुख्यमंत्री सचिवालय में सोशल मीडिया की टीम के गठन और मीडिया में राज्य व केंद्र की प्रमुख उपलब्धियों को प्रस्तुत करने में सक्रियता जैसे सवाल पूछे गए थे। केंद्र में सरकार और संगठन के तालमेल का नतीजा चुनावी परिणामों में झलक रहा है। यही तालमेल नेतृत्व राज्यों में भी सरकार और संगठन के बीच देखना चाहते हैं। लिहाजा मुख्यमंत्रियों से खरे खरे शब्दों में पूछा गया - प्रदेश में कोरग्रुप बैठकों का संचालन क्या इस तरह किया जाता है कि सरकार व पार्टी की गतिविधियों को राजनीतिक टीम के रूप में विकसित किया जा सके। उनसे यह भी पूछा गया कि मंत्री लोक दरबार कार्यक्रम के माध्यम से कार्यकर्ताओं की समस्या का निराकरण करते हैं या नहीं राज्य सरकार के कामकाज की समीक्षा का एक आधार यह भी था कि प्रदेश में मंत्रियों को विभाग के अलावा सरकार की कोई काम दिया गया है या नहीं। ध्यान रहे कि शाह ने ऐसी ही व्यवस्था केंद्र में भी की है।
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गौरतलब है कि नजरें 2019 पर है और शाह कई बार इसका जिक्र कर चुके हैं कि अबकी बार उन्हें और बड़ी जीत हासिल करनी है। लिहाजा वह भाजपा शासित राज्यों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी में मुख्यमंत्रियों से ऐसी योजनाओं व प्रोजेक्टों का भी हवाला मांगा जो केंद्र सरकार के माध्यम से पूरा होना है। निर्देश सिर्फ इतना था कि यह योजना पूर्व स्वीकृत बजट के आधार पर हो और उससे केंद्र पर कोई नया वित्तीय भार न पड़ता हो।
ध्यान रहे कि पिछले साल भी भाजपा मुख्यमंत्रियों की ऐसी ही बैठक बुलाई गई थी उसमें ही गरीब कल्याण नीति तैयार करने का फैसला हुआ था। रविवार की बैठक इसलिए अहम है क्योंकि इसबार बैठक में उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य के साथ साथ उत्तराखंड और मणिपुर का भी प्रतिनिधित्व था।