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भाजपा ने छोड़ा हिंदू मुख्यमंत्री का दांव

जम्मू-कश्मीर में पहले हिंदू मुख्यमंत्री के दांव से भाजपा ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से इतना तय है कि सरकार तुरंत बनने का कोई फार्मूला नहीं निकलेगा और इसमें कुछ समय लग सकता है।

By manoj yadavEdited By: Published: Sat, 27 Dec 2014 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 28 Dec 2014 05:06 AM (IST)
भाजपा ने छोड़ा हिंदू मुख्यमंत्री का दांव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पहले हिंदू मुख्यमंत्री के दांव से भाजपा ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से इतना तय है कि सरकार तुरंत बनने का कोई फार्मूला नहीं निकलेगा और इसमें कुछ समय लग सकता है। पहले बिल्कुल पस्त दिख रही पीडीपी ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की तरफ से मिले समर्थन के संकेतों के बाद अब अपने तेवर ज्यादा कड़े कर दिए हैं।

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दरअसल, भाजपा की चिंता है कि यदि पीडीपी और एनसी कांग्रेस के समर्थन से सरकार बना लेती हैं तो नई सरकार में जम्मू की हिस्सेदारी बिल्कुल नहीं होगी। ऐसे में भाजपा उपमुख्यमंत्री पद और जम्मू को सरकार में प्रतिनिधित्व देने के लिए मनाकर पीडीपी के साथ साझा सरकार की कोशिशें भी कर रही है। वैसे भाजपा के प्रबंधक अभी उमर से भी बातचीत कर रहे हैं, लेकिन घाटी के परस्पर विरोधी दलों की लामबंदी का तोड़ ढूंढना आसान नहीं है।

भाजपा के उच्चपदस्थ सूत्रों ने माना कि हिंदू यानी जम्मू के मुख्यमंत्री को रोकने के लिए घाटी के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों के हाथ मिला लेने से स्थिति विकट हो गई है। हालांकि, उमर और महबूबा का गठजोड़ बेहद विपरीत है, लेकिन कांग्रेस और अन्य लोगों की पहल ने मामला पेचीदा कर दिया है।

भाजपा ने कोशिश की थी कि पीडीपी और वह तीन-तीन साल के कार्यकाल का बंटवारा कर ले। मगर पीडीपी ने छह साल के लिए मुफ्ती मोहम्मद सईद को मुख्यमंत्री बनाने की कड़ी शर्त रखी है। इतना ही नहीं, अनुच्छेद 370 और अफस्पा जैसे कानूनों पर भी भाजपा को पीछे हटने को कहा है। भाजपा यदि खुद का मुख्यमंत्री नहीं बना पाती है तो मंत्रिमंडल में बराबर की हिस्सेदारी लेकर सरकार बनाने के विकल्प पर भी आगे बढ़ सकती है।

इसलिए बदली रणनीति

जिस तरह से जम्मू के खिलाफ घाटी की पार्टियों पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस साथ आने को तैयार हुए और कांग्रेस ने भाजपा को अलग-थलग करने की कोशिश की, उसने भगवा पार्टी को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया। भाजपा की पहली प्राथमिकता तो खुद सरकार बनाने की रही है, लेकिन हिंदू मुख्यमंत्री का दांव उल्टा पड़ता देख उसने अपने तेवर नरम कर लिए हैं।

वह सरकार बनाने की संभावनाएं तो तलाश रही हैं, लेकिन घाटी बनाम जम्मू की इस नई मोर्चाबंदी में वह बीच का रास्ता निकालने का विकल्प भी आजमाना चाहती है।

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