न्यापालिका की ‘अति सक्रियता’ की भाजपा सांसद ने की आलोचना
लोकसभा में भाजपा सांसद उदित राज ने न्यायपालिका की ‘अति सक्रियता’ आज की तीखी आलोचना की ।
नई दिल्ली(जेएनएन)। लोकसभा में भाजपा सांसद उदित राज ने न्यायपालिका की ‘अति सक्रियता’ आज की तीखी आलोचना की । उदित राज ने कहा कि वह विभिन्न संस्थाओं के कामकाज का लेखाजोखा रखने का काम कर रही है लेकिन अदालतों में लंबित मामलों की जिम्मेदारी नहीं लेती।
न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामलों में न्यायपालिका स्वतंत्र है लेकिन अदालतों में लंबित मामलों का निपटारा वह नहीं कर पा रही है।उदित राज ने आगे कहा कि 'वह किसी बात की जिम्मेदारी केंद्र सरकार तो किसी अन्य बात की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर लगा देती है। नैनीताल उच्च न्यायालय राष्ट्रपति पर टिप्पणी कर रहा है'। उन्होंने कहा, ‘‘ न्यायालय की अतिसक्रियता से गरीबों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है। इससे विकास की योजनाएं प्रभावित हो रही है।
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उदित राज ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के उस फैसले का जिक्र किया जिसमें प्रदेश सरकार की सेवाओं में 2002 के बाद से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण को रद्द किया गया है। उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की दिशा में पहल करने की सरकार से मांग की।उदित राज ने कहा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के समय में पदोन्नति में आरक्षण के समर्थन में संशोधन किया गया था और उच्चतम न्यायालय ने बाद में इसे बनाये रखा लेकिन मध्यप्रदेश में उच्च न्यायालय ने इसके उलट फैसला सुनाया है।
कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर निशान साधते हुए कहा कि इसमें कोई गुप्त एजेंडा है। सरकार कुछ नहीं कर रही है। हम मांग करते हैं कि इस मामले में आरक्षण के लाभार्थियों के हित प्रभावित न हों और उनके साथ कोई अन्याय नहीं हो केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करे ।
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