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भाजपा को रास आ रहा है उद्धव का तेवर

संभावना भी जताई जा रही है कि पहले से भारी दबाव से गुजर रही शिवसेना शायद कुछ समझौता के लिए तैयार भी दिखे।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 10:27 PM (IST)
भाजपा को रास आ रहा है उद्धव का तेवर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सहयोगी शिवसेना के तीखे बयानों और आक्रामक तेवरों के बावजूद भाजपा विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही आगे बढ़ेगी। यह लगभग मन बन चुका है कि बीएमसी चुनाव में भाजपा शिवसेना से बराबरी का हिस्सा मांगेगी। यह संभावना भी जताई जा रही है कि पहले से भारी दबाव से गुजर रही शिवसेना शायद कुछ समझौता के लिए तैयार भी दिखे।

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वरना विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही बीएमसी में भी राह जुदा जुदा हो सकती है। रही बात राज्य सरकार की तो यह माना जा रहा है कि शिवसेना पूरी तरह सत्ता से बाहर रहना नहीं चाहेगी। ज्यों ज्यों बीएमसी चुनाव नजदीक आ रहा है, शिवसेना का तेवर कुछ ज्यादा सख्त होता जा रहा है। उद्धव ठाकरे ने भी शिवसेना के मुखपत्र में यह बोलने से हिचक नहीं दिखाई कि भाजपा के साथ बिताया गया 25 साल वक्त की बर्बादी साबित होता जा रहा है और जरूरत हुई तो वह रिश्ता तोड़ सकते हैं।

दरअसल यह तेवर भाजपा पर दबाव बढ़ाने के लिए है। बीएमसी में शिवसेना ने भाजपा के लिए सिर्फ साठ सीटें छोड़ी थी जबकि सवा सौ से अधिक सीटों पर खुद लड़ी थी। भाजपा सूत्रों के अनुसार शिवसेना प्रमुख का तेवर भी भाजपा के ही फायदे मे जाएगा। सूत्र के अनुसार यह तय हो चुका है कि बीएमसी में बराबरी का हिस्सा मांगा जाएगा। अगर शिवसेना उसके लिए राजी नहीं होती है तो भाजपा अकेले चलने के लिए तैयार है। वैसे भी शिवसेना के अधिकतर काउंसलर तीन -चार कार्यकाल से हैं और उनके खिलाफ सत्ताविरोधी लहर है।

जबकि भाजपा रामदास आठवले की पार्टी के साथ सभी सीटों पर लड़कर अपनी शक्ति में बढोत्तरी करेगी। फिलहाल भाजपा के पास केवल 31 काउंसलर हैं। लिहाजा विधानसभा चुनाव की तर्ज पर बीएमसी में भी आमने सामने का मुकाबला भाजपा को भी मुफीद लग रहा है। वैसे यह उम्मीद भी जताई जा रही है कि बीएमसी से बाहर होने की आशंका शिवसेना को भी सता रही है और इस नाते वह खुद समझौते का कोई रास्ता निकालने की कोशिश करेगी।

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