नोटबंदी से भाजपा की धड़कनें तेज, लेकिन पीएम से उम्मीद
नोटबंदी के पहले 50 दिन का लक्ष्य पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री तीन या चार जनवरी को लखनऊ में जनता से रूबरू होंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तो भरोसा है लेकिन फिलहाल भाजपा नेताओं की धड़कनें भी तेज हैं। नोटबंदी के एक महीना बीतने के बाद अब महज बीस दिन शेष है और आशंकाओं के बावजूद पूरी भाजपा इस कवायद में जुट गई है कि तब तक सबकुछ दुरुस्त हो। नेताओं व कार्यकर्ताओं को निर्देश है कि अफवाह फैलाने वालों के प्रति खासतौर से ग्रामीणों को सचेत करें और यह सुनिश्चित करें कि नोटबंदी के कारण किसी बर्बरता की घटना न हो।
नोटबंदी के पहले 50 दिन का लक्ष्य पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री तीन या चार जनवरी को लखनऊ में जनता से रूबरू होंगे। अभी लगभग पच्चीस दिन शेष है। लेकिन पचास दिन की अवधि उससे पहले ही 31 दिसंबर को खत्म हो रही है। प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि उसके बाद नए नोटों को लेकर कोई परेशानी नहीं होगी। सरकार लगातार समीक्षा के साथ ही हर मोर्चे पर प्रधानमंत्री के वादों को पूरा करने में जुट गई है। आरबीआइ को भी निर्देश है कि नए नोटों की छपाई और उपलब्धता में और तेजी लाएं।
कठिनाइयों के बावजूद जनता अभी भी सरकार के फैसले के साथ खड़ी है। ऐसे में पार्टी को यह तो भरोसा है कि जरूरत पड़ी तो जनता प्रधानमंत्री पर भरोसा करते हुए कुछ और इंतजार कर सकती है। लेकिन कोशिश यह है कि ऐसी कोई स्थिति ही न आए। भाजपा के एक नेता ने कहा- 'फिलहाल नोटों की जो उपलब्धता है उसके बाद तो बेचैनी होती है लेकिन पार्टी में हमें इतना पता है कि प्रधानमंत्री को जनता चाहती है और उनकी बातों पर विश्वास करती है। हम उसे पूरा करने की कोशिश करेंगे।'
इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं को जहां जमीन पर उतरकर लोगों की मदद का निर्देश दिया है वहीं कैशलेस लेनदेन के प्रशिक्षण पर फोकस रहेगा। पार्टी की कोशिश होगी कि गांव-गांव तक लोगों में इसकी आदत बने।
गौरतलब है कि खुद प्रधानमंत्री ने भी सांसदों को निर्देश दिया था कि वह अपने अपने क्षेत्रों में पंचायत से लेकर नगर निगम तक व्यापारी वर्गो तक पहुंचे और उन्हें कैशलेस लेनदेन के बारे में बताएं।
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