आज तय हो सकते हैं हरियाणा और महाराष्ट्र के सीएम
महाराष्ट्र और हरियाणा में सरकार बनाने की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शिवसेना को सस्पेंस में डाल दिया है। हरियाणा में जहां तस्वीर साफ है, वहीं महाराष्ट्र में भाजपा के रुख से शिवसेना फिलहाल उलझन में है। ढीली पड़ी शिवसेना यूं तो बिना शर्त गठबंधन की बात करने लगी है, लेकिन भाजपा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा में सरकार बनाने की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने शिवसेना को सस्पेंस में डाल दिया है। हरियाणा में जहां तस्वीर साफ है, वहीं महाराष्ट्र में भाजपा के रुख से शिवसेना फिलहाल उलझन में है। ढीली पड़ी शिवसेना यूं तो बिना शर्त गठबंधन की बात करने लगी है, लेकिन भाजपा की ओर से कोई फैसला नहीं हुआ है। हालांकि पार्टी दिवाली के बाद ही दोनों राज्यों में सरकार का गठन करेगी। मंगलवार की देर शाम तक दोनों राज्यों के लिए मुख्यमंत्री का नाम तय कर दिया जाएगा। यह तय हो चुका है कि मुख्यमंत्री पद के लिए प्राथमिक योग्यता संगठन के प्रति निष्ठा और बेदाग छवि होगी।
मंगलवार की सुबह हरियाणा में भाजपा विधायक दल की बैठक है। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू पर्यवेक्षक और कैलाश विजयवर्गीय चुनाव प्रभारी के तौर पर बैठक में मौजूद होंगे। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम कर चुके संघ पृष्ठभूमि के मनोहर लाल खंट्टर मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे हैं। पंजाबी समुदाय से होने के नाते दिल्ली में भी इसके महत्व को देखा जा रहा है।
लिहाजा सूत्रों के अनुसार अधिकतर केंद्रीय नेता उनके पक्ष में हैं। उनकी छवि भी साफ है और संगठनक्षमता व निष्ठा भी निर्विवाद। बहरहाल, एक कमी है कि उनके पास प्रशासनिक अनुभव नहीं है। पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले खंट्टर लोकप्रिय नेता की श्रेणी में नहीं आते हैं। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष रामबिलास शर्मा का नाम अभी खारिज नहीं हुआ है। जाट प्रभुत्व वाले हरियाणा में भाजपा को जाटों का मत बहुत कम मिला है। लिहाजा जाटों को कैबिनेट में तो जगह मिलेगी, लेकिन अधिकतर नेता चाहते हैं कि नेतृत्व किसी गैर जाट को दिया जाए। हां, जाट समुदाय की भावनाओं को सहलाने के लिए केंद्र सरकार में जरूर जाट समुदाय से एक मंत्री बनाए जा सकते हैं।
बहरहाल, जाट समुदाय से ही यदि हरियाणा में नेता चुनना होता तो कैप्टन अभिमन्यु दावेदार होते।
महाराष्ट्र के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन बताते हैं कि उनकी तरफ से अभी खुलकर कुछ नहीं बताया गया है। हालांकि पहले वह कहते रहे हैं कि वह केंद्र में ही रहना चाहते हैं। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फणनवीस का नाम ही सबसे आगे है। वह प्रदेश नेताओं में सबसे ईमानदार माने जाते हैं। युवा हैं और केंद्रीय नेतृत्व की पसंद भी। महाराष्ट्र के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार की दोपहर मुंबई जा रहे हैं।
संभवत: मंगलवार की शाम ही विधायक दल के नेता पर फैसला हो जाए। गडकरी की तरह ही फणनवीस भी विदर्भ से आते हैं। जाहिर है कि मुंबई के नेताओं की ओर से उनके नाम पर थोड़ा विरोध है।
बहुमत के लिए आंकड़ों का समीकरण अभी पूरी तरह दुरुस्त नहीं हुआ है। एक अटकल यह भी है कि राकांपा के अंदर भी फूट हो सकती है। दरअसल भाजपा को सरकार बनाने के लिए महज दो दर्जन सीटों की आवश्यकता है।
'चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी एनसीपी को नेशनलिस्ट करप्ट पार्टी और शिवसेना को हफ्ता वसूल पार्टी कह रहे थे। अब हमें यह देखना है कि सरकार बनाने के लिए भाजपा इन दोनों में किसका सहयोग लेती है?'
-रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस प्रवक्ता