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दशकों खून-पसीना बहाकर मणिपुर में बनी है भाजपा सरकार

रघुमणि शर्मा एवं मधुमंगल शर्मा जैसे नेता जनसंघ के समय से ही भाजपा को मणिपुर में मजबूत करने का प्रयास करते रहे हैं।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Wed, 15 Mar 2017 06:04 PM (IST)Updated: Wed, 15 Mar 2017 06:13 PM (IST)
दशकों खून-पसीना बहाकर मणिपुर में बनी है भाजपा सरकार
दशकों खून-पसीना बहाकर मणिपुर में बनी है भाजपा सरकार

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। कांग्रेस छोड़कर आए नोंगथोमबम बीरेन सिंह भले ही मणिपुर में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने हों, लेकिन सत्ता तक पहुंचने के लिए भाजपा के नेता और कार्यकर्ता दशकों से खून-पसीना बहाते रहे हैं। मणिपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ की जड़ें बहुत पुरानी हैं। रघुमणि शर्मा एवं मधुमंगल शर्मा जैसे नेता जनसंघ के समय से ही भाजपा को मणिपुर में मजबूत करने का प्रयास करते रहे हैं।

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इस दौरान इन नेताओं को आपातकाल में जेल जाना पड़ा और लगातार मणिपुर के अतिवादियों से संघर्ष भी करना पड़ा। ऐसे ही संघर्ष में मधुमंगल शर्मा को 22 वर्ष पहले अपनी जान तक गंवानी पड़ी थी। 11 फरवरी, 1995 को तीन अज्ञात लोगों ने उनके घर जाकर उन्हें गोलियों से भून दिया था। हत्या के समय मधुमंगल शर्मा पंडित दीनदयाल लिखित पुस्तक एकात्म मानववाद पढ़ रहे थे।

गोलियां पुस्तक को चीरती हुई उनके सीने में जा धंसी थीं। कहा जाता है कि उनकी हत्या आइएसआइ के इशारे पर की गई थी। उनकी हत्या के बाद भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें सर्वप्रथम शहीद कहकर पुकारा था। मणिपुर भाजपा आज भी शहीद मधुमंगल शर्मा को उनकी पुण्यतिथि पर याद करती है।

1985 से 1990 तक मणिपुर भाजपा के अध्यक्ष रहे मधुमंगल शर्मा 1950 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रहे। वह विश्व हिंदू परिषद सहित कई और सामाजिक संगठनों के सदस्य के नाते भी संघ एवं जनसंघ की विचारधारा का मणिपुर में प्रसार करते रहे थे। पार्टी के टिकट पर 1984, 1989 एवं 1992 में लोकसभा चुनाव लड़े। इन चुनावों में उन्हें जीत भले हासिल नहीं हुई, लेकिन उस दौरान भी वह भाजपा के टिकट पर एक लाख से अधिक मत पाने में कामयाब रहे थे।

भाजपा कार्यकर्ताओं के इसी परिश्रम का नतीजा था कि 2001 में पार्टी के छह विधायक जीतकर आए। साझे की सरकार में भी शामिल हुए। लेकिन करीब सवा साल चलने के बाद सरकार गिर गई। उसके बाद से राज्य में लगातार तीन बार कांग्रेस ही सत्ता में आती रही है। मधुमंगल शर्मा से पहले मणिपुर भाजपा की कमान रघुमणि शर्मा के हाथों में रही थी। यह संयोग ही है कि इतने प्रखर नेताओं द्वारा तैयार की गई जमीन पर भाजपा की पहली सरकार का नेतृत्व कांग्रेस से आए एन. बीरेन सिंह करेंगे।

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