विरोधी खेमे को लेकर सतर्क भाजपा
जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन को लेकर उलझे तारों के बीच भाजपा खुद को नई सरकार में अहम कड़ी बनाकर रखना चाहती है। यह चाह प्रदेश में सत्ता के साथ भविष्य की रणनीति के लिए बहुत खास मानी जा रही है। दरअसल पार्टी नहीं चाहती है कि पहले कुछ महीनों में
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन को लेकर उलझे तारों के बीच भाजपा खुद को नई सरकार में अहम कड़ी बनाकर रखना चाहती है। यह चाह प्रदेश में सत्ता के साथ भविष्य की रणनीति के लिए बहुत खास मानी जा रही है। दरअसल पार्टी नहीं चाहती है कि पहले कुछ महीनों में ही ऐसा माहौल बने जिसमें एक तरफ भाजपा और दूसरी ओर पूरा विपक्ष एकजुट हो। लिहाजा कोशिश होगी कि जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन का हिस्सा बनकर इस संकेत को कुचल दिया जाए। हालांकि यह सावधानी भी बरती जाएगी कि इस कोशिश में भाजपा समझौता करती न दिखे।
जम्मू-कश्मीर का चुनावी नतीजा जितना भाजपा नेताओं की आकांक्षा व अपेक्षा के अनुरूप हुआ उतना ही परे भी। खासकर नेशनल काफ्रेंस की ओर से कट्टर राजनीतिक दुश्मन पीडीपी को समर्थन की घोषणा ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी। भाजपा नेताओं का मानना है कि यह संदेश भाजपा के लिए ठीक नहीं होगा। लोकसभा के बाद लगातार हुए राज्यों के चुनाव में भाजपा ने बड़ी फतह हासिल की है, तो यह भी सच्चाई है कि हर राज्य में चुनाव त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय हुआ। महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में भी लड़ाई के मैदान में कम से कम चार प्रमुख दावेदार थे। झारखंड, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ आखिरी मौके पर अलग हुई। खासतौर से झारखंड में मिले बहुमत के लिए भाजपा के भी कुछ नेता इस अलगाव को श्रेय देते हैं। ऐसे में पीडीपी को नेशनल कांफ्रेंस के अनौपचारिक से समर्थन को भी एक बड़े गुट के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि जनता परिवार इकट्ठा होने लगा है। बिहार में जदयू और राजद के साथ कांग्रेस भी है लेकिन अधिकतर राज्यों में दलों के बीच बिखराव है। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी नहीं चाहेगी कि उसके खिलाफ कोई वैसा गठबंधन तैयार हो जो आपातकाल के वक्त कांग्रेस के खिलाफ दिखा था। ध्यान रहे कि त्रिचुर में जनता दल डेमोक्रेटिक और जनता दल यू के विलय के मंच से ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दूसरे दलों को भी इकट्ठे होने का आह्वान किया है।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पहले ही उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा को इकट्ठे होने की नसीहत दे चुके हैं। हाल ही में संसद के अंदर एकजुट विपक्ष के रुख ने संदेश दे दिया है। भाजपा इससे सतर्क है। लिहाजा एक तरफ जहां विकास में आड़े आने का हवाला देकर विपक्ष को कठघरे में घेरने की कोशिश तेज होगी, वहीं ऐसे माहौल से भी बचने की कोशिश होगी जो उनके लिए उर्वरा का काम करे।