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उप्र भाजपा को पटरी पर लाना प्रभारी ओपी माथुर के लिए आसान नहीं

लोकसभा चुनाव जैसा करिश्मा मिशन- 2017 में भी दिखाने का जिम्मा भाजपा नेतृत्व ने ओमप्रकाश माथुर को सौंपा जरूर है, परन्तु प्रदेश संगठन को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। खासकर उप चुनाव में मिली करारी शिकस्त से संगठन की तमाम खामियां सामने आयी हैं। करीब पांच माह पहले मिली रिकार्ड विजय के बाद प्रदेश में बूथ

By anand rajEdited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 10:40 AM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 10:40 AM (IST)
उप्र भाजपा को पटरी पर लाना प्रभारी ओपी माथुर के लिए आसान नहीं

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव जैसा करिश्मा मिशन- 2017 में भी दिखाने का जिम्मा भाजपा नेतृत्व ने ओमप्रकाश माथुर को सौंपा जरूर है, परन्तु प्रदेश संगठन को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है।

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खासकर उप चुनाव में मिली करारी शिकस्त से संगठन की तमाम खामियां सामने आयी हैं। करीब पांच माह पहले मिली रिकार्ड विजय के बाद प्रदेश में बूथ प्रबंधन दुरुस्त होने जैसे दावे भी हवा होते दिखे। अहम बात यह है कि कैराना विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव को छोड़ शेष आठ स्थानों पर मिली हार का अंतर काफी बड़ा रहा। मोदी के नाम पर जिन ग्रामीण क्षेत्रों में वोट मिले वहां उपचुनाव में भाजपाइयों को निराश होना पड़ा।

दलितों को जोड़ने की चुनौती

प्रदेश की सत्ता में काबिज होने और यूपी को भाजपायुक्त बनाने के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नारे को कामयाब बनाने के लिए दलितों व अति पिछड़ों में पैठ बढ़ाना जरूरी होगा, परन्तु प्रदेश स्तर पर कोई कार्य नहीं हो पाया। इसका खामियाजा भाजपा ने उपचुनाव में भुगता। एक पूर्व मंत्री का कहना है कि यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो मिशन 2017 सफल बनाना आसान न होगा। माथुर के लिए बड़ी चुनौती होगी कि दलितों व पिछड़े वर्ग में नई लीडरशिप विकसित कर के जनाधार बढ़ाया जाए।

बंसल व माथुर की जोड़ी पर दांव

प्रदेश के नए प्रभारी ओमप्रकाश माथुर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अति विश्वनीय लोगों में से एक हैं। मूलत: राजस्थान के निवासी ओम प्रकाश माथुर संगठन के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रभारी माथुर की प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल के साथ बेहतर तालमेल रहा है। बंसल और माथुर की जोड़ी के लिए पहली परीक्षा आगामी वर्ष होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव है, जिसमें भाजपा की ताकत दिखानी होगी ताकि विधानसभा की राह आसान हो।

संगठन में यूपी का दबदबा

राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा प्रदेश प्रभारियों की सूची में यूपी के नेताओं को पर्याप्त तरजीह मिली है। लखनऊ के महापौर दिनेश शर्मा को अमित शाह ने गुजरात का प्रदेश प्रभारी बनाया है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा के जरिए प्रदेश में नया ब्राह्मण चेहरा तैयार करने की कवायद है। वहीं, आगरा क्षेत्र के सांसद डा. रामशंकर कठेरिया को दो राज्यों पंजाब व छत्तीसगढ़ का, तो श्रीकांत शर्मा को हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। ओडिशा का जिम्मा अरूण सिंह, तो सिद्धार्थ नाथ सिंह को पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया गया है। महेंद्र सिंह को असम में संगठन दुरुस्त करने की जिम्मेदारी सौंपने की वजह हरियाणा और राजस्थान में किए बेहतर काम को माना जा रहा है। हरियाणा के प्रभारी बनाए गए अनिल जैन का ताल्लुक भी यूपी से है।

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