शीत सत्र का आज आखिरी दिन, अध्यादेश ही बचा आर्थिक सुधार का रास्ता
संप्रग सरकार ने आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए जिस दांव का इस्तेमाल आखिरी दिनों में किया था, राजग ने उसका इस्तेमाल शुरुआती दौर में ही करने का फैसला किया है। अहम विधेयकों को राज्य सभा से पारित कराने में नाकाम रही राजग सरकार अब अध्यादेशों के सहारे आगे
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संप्रग सरकार ने आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए जिस दांव का इस्तेमाल आखिरी दिनों में किया था, राजग ने उसका इस्तेमाल शुरुआती दौर में ही करने का फैसला किया है। अहम विधेयकों को राज्य सभा से पारित कराने में नाकाम रही राजग सरकार अब अध्यादेशों के सहारे आगे बढ़ेगी। भूमि अधिग्रहण, कोयला और बीमा जैसे कानूनों में संशोधन के लिए अध्यादेश का रास्ता ही बचा है। चालू शीतकालीन सत्र में संसद में राजनीतिक रार के चलते इन बिलों को पारित कराना संभव नहीं हो पाया। मंगलवार को शीत सत्र का आखिरी दिन है।
यही वजह है कि वैकल्पिक उपाय तलाशने के सिलसिले में ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भूमि संसाधन विभाग के आला अफसरों के साथ सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की। संप्रग सरकार ने भूमि अधिग्रहण का जो कानून पारित कराया है, मौजूदा सरकार को इसमें तमाम खामियां दिख रही हैं। खासतौर से बुनियादी ढांचे वाली परियोजनाओं के लिए भूमि उपलब्धता बहुत कठिन हो गई है। कोयला अधिनियम संशोधन विधेयक और बीमा अधिनियम संशोधन विधेयक को भी अब तक संसद से पारित नहीं कराया जा सका है। सूत्रों के मुताबिक भूमि अधिग्रहण के लिए सामाजिक ऑडिट की बाध्यता बड़ी कठिनाई बन सकती है, जिसे खत्म कराया जाएगा। जमीन अधिग्रहण में 80 फीसद भूमि स्वामियों की मंजूरी की शर्त को भी हटाने या इसे घटाने पर अहम फैसला हो सका है। आकस्मिक परिस्थितियों के प्रावधान में आमूल तब्दीली के साथ सरकार के अधिकार बढ़ाए जा सकते हैं। रक्षा परियोजनाओं में निजी हिस्सेदारी के संबंध में भी अधिग्रहण शर्तों को सरल बनाये जाने की संभावना है। विदेशी सहयोग से प्रस्तावित रक्षा से जुड़ी परियोजनाओं की स्थापना में दिक्कत आ सकती है।
भूमि अधिग्रहण कानून के मौजूदा प्रावधानों से सरकार की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है। पीएम मोदी की मेक इन इंडिया कार्यक्रम की राह कठिन हो जाएगी। सभी को घर मुहैया कराने की मंशा के लिए सस्ती जमीन की जरूरत होगी। भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन न हुआ तो कोल ब्लॉकों की नीलामी में अड़चनें आएंगी। देश में सौ स्मार्ट सिटी स्थापित करना टेढ़ी खीर हो जाएगा।