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खंडहरों से फिर निकलेगी ज्ञान की ज्योति

चीनी यात्री और विद्वान ह्वेनसांग ने नालन्दा विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता को कुछ इस तरह लिपिबद्ध किया था -'नालन्दा विश्वविद्यालय विदेशी विद्यार्थियों के लिए अपनी शंकाओं के समाधान और ज्ञान पाने का एकमात्र केंद्र था .।' बेशक, इस एतिहासिक संदर्भ पर आज हम गौरवान्वित होकर जी उठते हैं। नालन्दा विश्वविद्यालय का विश्व ज्ञान में क्या स्थान है, इसका अंदाजा इ

By Edited By: Published: Sat, 20 Sep 2014 11:26 AM (IST)Updated: Sat, 20 Sep 2014 11:26 AM (IST)
खंडहरों से फिर निकलेगी ज्ञान की ज्योति

पटना। चीनी यात्री और विद्वान ह्वेनसांग ने नालन्दा विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता को कुछ इस तरह लिपिबद्ध किया था -'नालन्दा विश्वविद्यालय विदेशी विद्यार्थियों के लिए अपनी शंकाओं के समाधान और ज्ञान पाने का एकमात्र केंद्र था .।' बेशक, इस एतिहासिक संदर्भ पर आज हम गौरवान्वित होकर जी उठते हैं।

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नालन्दा विश्वविद्यालय का विश्व ज्ञान में क्या स्थान है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में कई सारे बड़े धर्म जब अस्तित्व में नहीं थे, तब नालन्दा दुनिया भर में वेद, वेदान्त, सांख्य, दर्शन और चिकित्सा शास्त्र की शिक्षा-दीक्षा का प्रतिष्ठित एकमात्र केन्द्र था।

नालन्दा विश्वविद्यालय में एक तरह से इतिहास खुद को दोहराते देखा। भले ही इतिहास का वह अद्भूत लम्हा करीब सवा आठ सौ साल बाद आया। लंबी कवायद के बाद फिर से पुराने खंडहरों के पास बने नए नालन्दा विश्वविद्यालय के कैम्पस में ज्ञान की ज्योति एकबार फिर से जल चुकी है। ऐतिहासिक महत्व को समेटे इस विश्वविद्यालय में बहुत कुछ नया है। और बहुत कुछ पुराना भी, जो अर्थशास्त्र, इतिहास एवं संस्कृति का संगम के रूप में भविष्य में प्रतिष्ठित होगा क्योंकि प्राचीन नालन्दा विवि की मूल भावना पर आधारित शिक्षा व्यवस्था होगी।

इन विश्वविद्यालयों से हुआ करार

' स्कूल ऑफ फॉरेस्ट्री एंड इंवायरन्मेंटल स्टडीज, येल यूनिवर्सिटी, अमेरिकी। ' एग्रीकल्चर एंड बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग, यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस, अमेरिका। ' बोरलॉग इंस्टीच्यूट ऑफ साउथ एशिया, भारत। ' इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन स्टडीज, सिंगापुर। ' पेकिंग यूनिवर्सिटी, चीन। ' यूरोपियन कंसोर्टियम फॉर एशियन फील्ड स्टडीज, फ्रांस। चुलालोंग यूनिवर्सिटी, थाईलैंड। ' इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एशियन स्टडीज, नीदरलैंड।

फैकल्टी मेंबर्स और अनुभव'

इंग्लैंड, अमेरिका, सिंगापुर, न्यूजीलैंड से फैकल्टी की नियुक्ति की गई है।' स्कूल ऑफ इकोलॉजी/इन्वारमेंटल स्टडीज-मिहिर देव, जो डीन भी हैं, को गैरपारंपरिक प्राकृतिक संसाधनों पर पांच दशक का रिसर्च का लंबा अनुभव है। ये देश-विदेश के दर्जनों विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य कर चुके हैं। ' सोमनाथ बंधोपाध्याय-इन्हें जवाहर लाल नेहरू विवि के अलावा अमेरिका एवं ब्रिटेन में शिक्षण कार्य समेत रिसर्च का लंबा अनुभव है। इन्वारन्मेंटल पॉलिसी में महत्वपूर्ण कार्य। ' आर्न हार्म्स-इन्वारन्मेंटल, सोसाइटी और भारत पर विशेष अध्ययन। फ्रीई यूनिवर्सिटी, बर्लिन से पीएचडी और बर्लिन एवं कोलोन में अध्यापन कार्य का लंबा अनुभव। ' प्रभाकर शर्मा-वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर और एक्वाकल्चर इंजीनियरिंग में डिग्री। जर्मनी से मास्टर डिग्री के बाद अमेरिका से बॉयोलॉजिकल सिस्टम इंजीनियरिंग में पीएचडी। कई महत्वपूर्ण रिसर्च के लिए ख्यात।' आदित्य मल्लिक-फिलॉसफी, ऑर्कियोलॉजी, हिस्ट्री,सोशल एंथ्रोपोलॉजी में विशेष अध्ययन और शोध कार्य। जर्मनी से पीएचडी।

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