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सियासत की नई प्रयोगशाला बना बिहार

बिहार विधानसभा के चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन राज्य में चुनाव से पहले की सियासी जंग जारी है। रोज कई तरह के मोड़ से गुजर रही है बिहार की राजनीति। जोड़-जुगाड़ और गठजोड़ की बिसात बिछाने में कोई किसी से पीछे नहीं है। इस बार बिहार सियासत की नई

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Sun, 24 May 2015 08:47 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2015 08:56 AM (IST)
सियासत की नई प्रयोगशाला बना बिहार

पटना [दीनानाथ साहनी]। बिहार विधानसभा के चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन राज्य में चुनाव से पहले की सियासी जंग जारी है। रोज कई तरह के मोड़ से गुजर रही है बिहार की राजनीति। जोड़-जुगाड़ और गठजोड़ की बिसात बिछाने में कोई किसी से पीछे नहीं है। इस बार बिहार सियासत की नई प्रयोगशाला जैसा दिख रहा है।

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कभी सत्तारूढ़ जदयू की पार्टनर रही भाजपा के हाल के तेवरों से जनता परिवार की एकजुटता जोर तो पकड़ रही थी, लेकिन शुक्रवार को दिल्ली में मुलायम के आवास पर बैठक के बाद फिर अवरोध आ गया है। इस बदलते सियासी समीकरण में कांग्रेस खुद को आंकने में लगी है। पत्ते अभी खोल नहीं रही है, लेकिन इतना तय है कि जदयू-राजद के दायरे में रहकर ही वह अपना भविष्य और वजूद तलाशेगी।

सबसे दिलचस्प यह है कि राज्य में एनडीए और जनता परिवार (जदयू-राजद) की खेमेबंदी को देखते हुए भाकपा, माकपा, भाकपा माले (लिबरेशन) एक गठजोड़ बनाने की तैयारी में हैं। ऐसे में बिहार इस बार विधानसभा चुनाव में ‘गठबंधन’ की नई प्रयोगशाला बन सकता है।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में दो सांसदों पर सिमट गया जदयू बिहार में राजनीतिक जमीन बचाने के लिए पूरी जतन से जुटा है तो राजद के लिए भी इस बार का चुनाव अस्तित्व की ही लड़ाई है। यही वजह है कि ‘36’ का आंकड़ा रहते हुए भी नीतीश कुमार और लालू प्रसाद राजनीतिक की पिच पर जनता परिवार का विलय कराने में में सक्रिय हैं।

लालू-नीतीश को यह अभास है कि एनडीए को बिहार में रोकने के लिए जनता परिवार की एकजुटता जरूरी है। यदि यह संभावना नहीं बनती है तो जदयू व राजद के बीच सभी 243 सीटों के बीच बंटवारा कुछ इस तरह हो कि गठजोड़ की अधिक से अधिक सीटों पर जीत सुनिश्चित की जा सके।

इधर, चुनाव से पहले गठजोड़ की बिछती बिसात के बीच कांग्रेस अपने लिए सियासी जमीन तलाशने में जुट गई है। कांग्रेस विधानसभा चुनाव में अपनी वजूद की संभावना तलाश रही है। कांग्रेस को लगता है कि भाजपा को रोकने के लिए जनता परिवार के विलय से ज्यादा जरूरी है कि जदयू व राजद के साथ तालमेल करके कांग्रेस अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीटों का जुगाड़ कर ले। ऐसे भी कांग्रेस जदयू व राजद के साथ गठबंधन में कारगर रणनीति अपना रही है। इस मामले में भी कांग्रेस को नीतीश से ज्यादा लालू प्रसाद पर भरोसा जताने की उम्मीद है।

गठजोड़ की राजनीति पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस अभी से सक्रिय है और उसके राष्ट्रीय नेताओं का बिहार में ताबड़तोड़ दौरा शुरू हो गया है। कांग्रेस के एक शीर्ष नेता का मानना है कि जदयू और राजद के गठजोड़ या जनता परिवार के विलय का कांग्रेस इंतजार कर रही है। यदि दोनों के बीच चुनावी गठजोड़ होता है तो भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए बिहार में यह गठजोड़ कांग्रेस के काम आ सकता है।

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