जिन्होंने कभी तिरंगे को नहीं माना, वे अब तिरंगा यात्राएं निकाल रहे हैं : नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को डॉ. रघुवंश की पुस्तक 'हम भीड़ हैं' का लोकार्पण करने दिल्ली पहुंचे। वहां उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए भाजपा पर जमकर हमला बोला।
पटना [वेब डेस्क। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को दिल्ली दौरे पर थे। वहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने भाजपा और आरएसएस को निशाने पर लेते हुए कहा कि जिन्होंने ''कभी भी तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज नहीं माना'' वे अब 'तिरंगा यात्रा' निकाल रहे हैं।
नीतीश कुमार ने ''असहिष्णुता के मौजूदा माहौल'' के खिलाफ बुद्धिजीवियों और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले लोगों से एकजुट होने की अपील की। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में बार बार ''असहिष्णुता'' से लड़ने के लिए ''बिखरे हुए'' समाजवादी दलों और बुद्धिजीवियों के बीच एकजुटता का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में भाजपा और आरएसएस को सीधे-सीधे निशाने पर लेते हुए कहा, ''हम एक नया दौर देख रहे हैं। कई बार यह सुनकर अच्छा लगता है कि जिन्होंने कभी भी तिरंगे को मान्यता नहीं दी वे आज 'तिरंगा यात्राएं' निकाल रहे हैं, जिन्होंने कभी भी तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज नहीं माना, उन्हें ऐसा करते देखकर अच्छा लग रहा है।'
उन्होंने कहा, ''जब आपने असहिष्णुता के खिलाफ अभियान शुरू किया तो वह काफी सफल रहा। अभियान रुकना नहीं चाहिए, चलते रहना चाहिए। आज ऐसी परिस्थितियां बना दी गई हैं, जब आपको मिलकर एक वैचारिक अभियान के जरिये इससे लड़ना होगा।''
नीतीश ने कहा, ''आज जिस तरह असहिष्णुता का दौर बना हुआ है, इन परिस्थितियों में लेखकों, बुद्धिजीवियों को ना केवल लिखना होगा बल्कि और भी चीजें करनी होंगी।' उन्होंने कहा, ''ऐसा नहीं है कि आज जो कुछ हो रहा है, उससे सब सहमत हैं, अधिकतर लोग सहमत नहीं हैं, लेकिन विरोध की यह आवाज मजबूत नहीं है और यह आवाज सुनायी दे, इसके लिए हम सब को मिलकर कड़ी मेहनत करनी होगी।''
नीतीश कुमार ने दिल्ली स्थित कांस्टीच्यूशन क्लब में स्व. डा. रघुवंश की पुस्तक 'हम भीड़ हैं' का लोकर्पण किया। आयोजन का संचालन डीपी त्रिपाठी ने किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि डा. रघुवंश के विचारों से वे आपातकाल और जेपी आंदोलन के दिनों से ही अवगत थे। वह न केवल इलाहाबाद विश्वविद्यालय बल्कि समाजवादी आंदोलन के भी एक प्रखर शिक्षक थे।
उन्होंने स्व. रघुवंश की पुत्री सुजाता रघुवंश से कहा कि अगर संकलित लेखों के साथ उसके प्रकाशन की अवधि भी इंगित होती तो इससे ज्यादा फायदा होता। समय अवधि रहने से युवा पीढ़ी उस दौर को समझ पाएगी।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे डीपी त्रिपाठी ने कहा कि डा. रघुवंश की दिली इच्छा थी कि अगर कभी उनकी पुस्तक का विमोचन हो तो उसे किसी सच्चे समाजवादी से ही कराना चाहिए। समारोह में जदयू के राज्यसभा सदस्य हरिवंश, कुर्बान अली और अशोक वाजपेयी ने भी अपने विचार रखे।
यह पुस्तक 'हम भीड़ हैं’ बताती है कि रघुवंश में आधुनिकता और विकास का एक ऐसा स्वरूप पहचानने की व्याकुलता थी, जो काल की दृष्टि से 'नया’ हो और देश की दृष्टि से 'भारतीय’ हो। यही आकांक्षा रघुवंश जी को आचार्य नरेंद्र देव, डॉ. लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे चिंतकों की ओर आकृष्ट करती रही।
इस पुस्तक में संकलित लेखों से यह भी पता चलता है कि उन्होंने अपने चिंतन का फलक कितना व्यापक रखा।इसीलिए वे शिक्षा, राजनीतिक व्यवस्थाओं और सांप्रदायिक संकटों को समझने और समझाने में निरंतर संलग्न रहे।
रघुवंश ने 'आधुनिकता’ को केवल 'व्यक्ति’ की विशिष्टता के रूप में नहीं, बल्कि अपने समाज के गतिशील होने की सांस्कृतिक आकांक्षा के वैशिष्ट्य के रूप में समझने की चेष्टा की। दरअसल वे सांस्कृतिक चिंतक थे. संस्कृति को परंपरा की रूढियों से मुक्त करके उन्होंने अपने समय के समाज को विभिन्न समस्याओं से संदर्भित किया।
रघुवंश 'मनुष्य की सांस्कृतिक उपलब्धियों’ की कसौटी पर अपने समय और समाज की स्थितियों को परखने के हिमायती थे।
इस मौके पर जदयू सांसद आरसीपी सिंह, रामनाथ ठाकुर, कहकशां परवीन, पूर्व सांसद केसी त्यागी, पवन वर्मा, पूर्व विधान पार्षद संजय झा, पत्रकार ओम थानवी, संतोष भारतीय, अनुराग चतुर्वेदी, राजकुमार जैन और जयशंकर गुप्त भी मौजूद थे।