मंगलयान से बड़ी चुनौती, हर घर में शौचालय
मंगल तक की ऊंचाइयां नाप चुके भारत के 11 करोड़ घरों में अब भी शौचालय नहीं हैं। महात्मा गांधी का सपना और मोदी का लक्ष्य पूरा करने लिए रोजाना 4
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। मंगल तक की ऊंचाइयां नाप चुके भारत के 11 करोड़ घरों में अब भी शौचालय नहीं हैं। महात्मा गांधी का सपना और मोदी का लक्ष्य पूरा करने लिए रोजाना 48 हजार से अधिक शौचालय बनाने होंगे। तब कहीं गांधी के 150वीं जयंती यानी वर्ष 2019 तक हर घर में शौचालय हो सकेगा। लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी काम ऐसे लोगों की सोच बदलना है, जो शौचालय होने के बावजूद खुले में शौच करते हैं। ऐसे परिवारों की तादाद पौने दो करोड़ से अधिक है।
शौचालयों का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निर्माण की मौजूदा गति को तीन गुना से अधिक करना होगा। फिलहाल रोजाना 14 हजार शौचालय बनाये जा रहे हैं, जिसे बढ़ाकर 48 हजार से अधिक करना है। स्वच्छ भारत पर तैयार सरकारी कार्य योजना ने यही लक्ष्य तय किया है। स्वच्छता मिशन की सफलता के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनाने के साथ जलापूर्ति आवश्यक है। केंद्र व राज्य सरकार ने इसके लिए भी संयुक्त कार्य योजना तैयार की है।
शौचालय बनाने और जलापूर्ति के लिए राज्यों को नाबार्ड और सिडबी से पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। शौचालय निर्माण के साथ खतरनाक कचरे को ठिकाने लगाने का प्रबंधन और गांवों में सफाई को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक योजना को अंतिम रूप दिया गया है। सब कुछ ठीक रहा तो महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक योजना अपने लक्ष्य को पा लेगी।
क्या कहती है यूनिसेफ की रिपोर्ट
भारत में समुचित जलापूर्ति न होने और खुले में शौच की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों व महिलाओं में सर्वाधिक बीमारियां फैलती हैं। स्कूलों में शौचालयों की कमी से लड़कियों की पढ़ाई बीच में ही रुक जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों के 11.11 करोड़ घरों में शौचालय नहीं है, जबकि आंगनबाड़ी केंद्रों, ग्रामीण स्कूलों और सार्वजनिक सामूहिक शौचालयों की संख्या लाखों में है। केंद्र सरकार की कार्य योजना में इन्हें बनवाने के लिए सांसद और विधायक निधि की धनराशि के उपयोग करने को कहा गया है।
हर गांव में स्वच्छता दूत
स्वच्छता मिशन को सफल बनाने के लिए हर गांव में 'स्वच्छता दूत' तैयार किये जाएंगे, जो लोगों को साफ सफाई के तौर तरीकों से तो वाकिफ कराएंगे ही, लोगों को शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहित भी करेंगे। इसकी एवज में स्वच्छता दूतों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।