फिक्सिंग : खिलाड़ियों के बयान और हलफनामें में मेल नहीं
आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल इस मामले की जांच कर रही मुदगल कमेटी को तीन खिलाड़ियों द्वारा दिया गया बयान और बीसीसीआइ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा आपस में मेल नहीं खा रहा। इस बात के सामने आने से एक बार फिर बीसीसीआइ
नई दिल्ली। आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल इस मामले की जांच कर रही मुदगल कमेटी को तीन खिलाड़ियों द्वारा दिया गया बयान और बीसीसीआइ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा आपस में मेल नहीं खा रहा। इस बात के सामने आने से एक बार फिर बीसीसीआइ पर मुसीबत आ सकती है और उसे सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।
गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई ती जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए बीसीसीआइ को नसीहत दी कि अगर बोर्ड ऐसी चीजों को होने देगा तो वो एक तरह से क्रिकेट के खेल को मार रहे हैं। कोर्ट के मुताबिक आइपीएल को बीसीसीआइ से अलग करके नहीं देखा जा सकता। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ और श्रीनिवासन से सवाल भी किया कि अगर बीसीसीआइ अध्यक्ष भी आइपीएल में एक टीम का मालिक होगा, तो क्या इससे हालात बिगड़ेंगे नहीं। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि ऐसे तो आइपीएल बीसीसीआइ और इस टूर्नामेंट के बीच फायदे का खेल बनकर रह गया है और कुछ नहीं। गौरतलब है कि फिक्सिंग मामले में घिरी चेन्नई सुपरकिंग्स टीम के मालिक खुद एन.श्रीनिवासन ही हैं। कोर्ट ने अपने ये विचार तब दिए जब श्रीनिवासन के वकील कपिल सिब्बल ने श्रीनिवासन के बीसीसीआइ चुनावों में खड़े होने पर स्थिति साफ करने के लिए कहा। कोर्ट ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब श्रीनिवासन का एक करीबी (गुरुनाथ मयप्पन) सट्टेबाजी का दोषी पाया गया है तो ऐसे में वो बीसीसीआइ अध्यक्ष कैसे बन सकते हैं।