जाधव मामले में पाक का पकड़ा गया झूठ, पूर्व ISI अधिकारी ने खोली पोल
पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसके सुरक्षा बलों ने पिछले साल तीन मार्च को बलूचिस्तान से जाधव को गिरफ्तार किया था। इस दावे की ही पोल खुली है।
नई दिल्ली। कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान का बड़ा झूठ पकड़ा गया है और इस बार उसे बेनकाब करने वाला कोई और नहीं बल्कि आईएसआई का ही एक पूर्व अधिकारी है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब ने स्वीकार किया है कि जाधव को पाकिस्तान से नहीं बल्कि ईरान से पकड़ा गया था और उन्हें वहां से ले जाकर बलूचिस्तान में फर्जी गिरफ्तारी दिखाई गर्इ थी।
पाकिस्तान ने जाधव को लेकर किया था यह दावा
पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसके सुरक्षा बलों ने पिछले साल तीन मार्च को बलूचिस्तान से जाधव को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर ईरान से वहां आए थे। हालांकि भारत लगातार कहता आ रहा है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया, जहां वह नौसेना से रिटायर होने के बाद बिजनेस कर रहे थे।
भारत आईसीजे में कर सकता है बयान का इस्तेमाल
भारत अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) की अगली सुनवाई में शोएब के बयान का इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इस बीच, भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाधव मामले की तेज सुनवाई के लिए अर्जी दी है। इससे पहले अदालत ने मामले की सुनवाई जारी रहने तक पाकिस्तान को जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। जाधव को जासूसी के आरोप में एक पाक सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाई गई है।
पहले भी खुल चुकी है इस पाक दावे की पोल
पाकिस्तान में जर्मनी के पूर्व राजदूत गुंटर मुलक भी अपने सूत्रों के हवाले से यह बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा था कि जाधव को ईरान से तालिबान ने अगवा कर आईएसआई को बेच दिया था। वहीं पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने पिछले साल दिसंबर में पाक संसद को बताया था कि जाधव के खिलाफ पुख्ता सबूत मौजूद नहीं हैं।
अपने देश में भी पाक की हो चुकी है किरकिरी
जाधव मामले को लेकर पाकिस्तान की अपने देश में ही काफी किरकिरी हो चुकी है। सुनवाई के पहले दौर में अंतरराष्ट्रीय अदालत द्वारा भारत के पक्ष में फैसला सुनाए जाने पर नवाज शरीफ सरकार को विपक्ष के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। उन पर केस को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया गया। ऐसे में फैसला लेना पड़ा कि वकीलों की नई टीम गठित की जाएगी, जो अंतरराष्ट्रीय अदालत में मामले को आगे बढ़ाएगी।
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