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भागवत ने बाहरी नेताओं के पार्टी में शामिल होने पर भाजपा को दी चेतावनी

आरएसएस प्रमुख ने भाजपा को बाहरी नेताओं को श‍ामिल करने को लेकर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि इन नेताओं के पार्टी में आने का असर कुछ समय के बाद दिखाई देगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 30 Aug 2016 02:58 AM (IST)Updated: Tue, 30 Aug 2016 07:29 AM (IST)
भागवत ने बाहरी नेताओं के पार्टी में शामिल होने पर भाजपा को दी चेतावनी

लखनऊ (जेएनएन)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक डॉ. मोहन मधुकर राव भागवत ने भाजपा को बाहरी नेताअों को अपने खेमे में लाने पर चेताया है। उन्होंने कहा है कि चुनाव के मद्देनजर कई नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं, ऐसे में भाजपा को सतर्क रहने की जरूरत है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ऐसे नेताओं के पार्टी में शामिल होने का असर तुरंत नहीं दिखाई देने वाला है, इसका असर कुछ समय के बाद दिखाई देगा।

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इस मौके पर उन्होंने भाजपा और संघ की विचारधारा से जुड़े करीब 40 संगठनों को लक्ष्य साधने के लिए 'प्रतिज्ञा' और 'प्रार्थना' का मंत्र दिया है। व्यवस्था परिवर्तन के लिए सामाजिक समरसता, पारिवारिक भावना और ग्राम विकास पर जोर देकर भागवत ने विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा और सहयोगियों को राह दिखाई है। करीब डेढ़ दशक से सूबे में चल रही बसपा और सपा की सरकार को रोकने के लिए भाजपा को नई दिशा मिल गयी है।

सर संघचालक सोमवार को निराला नगर के सस्वती कुंज के माधव सभागार में आरएसएस से जुड़े संगठनों के मिलन समारोह को संबोधित कर रहे थे। भागवत ने कहा कि सभी संगठन स्वतंत्र, स्वायत्त व स्वावलंबी हैं। सभी के कार्यक्षेत्र, कार्यपद्धति और कार्यकर्ता भिन्न-भिन्न हैं। फिर भी सभी राष्ट्र की सर्वागीण उन्नति के लिए काम करते हैं। इस दौरान भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख कैशव मौर्या और यूपी इंचार्ज ओम माथुर भी मौजूद थे।

समन्वय बैठक की अवधारणा को रखते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि यह बैठक स्वयंसेवकों की होती है जो विविध क्षेत्रों में व्यवस्था परिवर्तन में लगे हैं। व्यवस्था परिवर्तन तभी सफल होगा जब समाज भी उस दिशा में आगे बढ़ेगा।

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दलितों में पकड़ बनायेगी भाजपा

मोहन भागवत ने सामाजिक समरसता पर जोर देकर भाजपा के लिए साफ कर दिया है कि छुआछूत के खिलाफ अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा दलितों को जोड़ा जाए। उनका यह संदेश आगरा और आजमगढ़ में बसपा प्रमुख मायावती की रैली के बाद भाजपा के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। हाल में मायावती पर पूर्व नेता दयाशंकर सिंह की अभद्र टिप्पणी और जवाब में बसपा नेताओं द्वारा शर्मनाक प्रतिक्रिया दिए जाने के बाद दलितों की दूरी बढ़ गयी है। उनके बीच मेलजोल बढ़ाकर इसे दूर करने की अब कोशिश होगी।

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