ख्यात लेखक ने कहा, मेरी कहानी के राम तो मांस खाते थे
देश में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस के बीच ख्यात लेखक अमिष त्रिपाठी के एक बयान पर विवाद की स्थिति बन गई है। बीबीसी से खास चर्चा में अमिष ने कहा है कि मेरी किताब ‘सायन ऑफ इक्ष्वाकु’ में राम की कहानी है।
By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2015 06:35 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2015 06:37 PM (IST)
मुंबई। देश में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस के बीच ख्यात लेखक अमिष त्रिपाठी के एक बयान पर विवाद की स्थिति बन गई है। बीबीसी से खास चर्चा में अमिष ने कहा है कि मेरी किताब ‘सायन ऑफ इक्ष्वाकु’ में राम की कहानी है। इस कहानी में मांस खाते हुए राम का चित्रण होने के बावजूद कोई विरोध नहीं हुआ।
कुछ लेखक प्रचार के लिए खुद खड़ा करते हैं विवाद
(यह भी बोले अमिष)
- अमिष ने कहा कि मेरी कहानी के राम सामान्य इंसान हैं। वो क्षत्रिय थे तो मांस खाते थे, ऐसा ही वाल्मीकि के रामायण में था, उन्हें रामचरितमानस में भगवान के रूप में दिखाया गया है।
- हमारा देश खुले विचारों वाला देश है। कुछ लेखक प्रचार के लिए खुद विवाद खड़ा करते हैं। मुझे उसका सहारा नहीं लेना पड़ा, क्योंकि मैं अपने विषय और धर्म का सम्मान करता हूं।
- देश में बढ़ती असहिष्णुता के बारे में अमिष ने कहा, अवॉर्ड लौटाने वाले लेखक देश के प्यार को ठुकरा रहें हैं।
- देश में संवेदनशील घटनाएं हुई हैं, लेकिन सिर्फ इसलिए सवा सौ करोड़ देशवासियों को असहिष्णु नहीं कहा जा सकता।
- जिन्होंने गलत किया है, उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। धर्म या पंथ के नाम पर हमारे देश में कोई असहिष्णुता नहीं है।
- मैं धार्मिक किताबें लिखता हूं, पर राजनीति पर कभी भी टिप्पणी नहीं करता। राजनीति को समझने वाले मुझसे बेहतर लोग हैं, जिन्हें हम रोज टीवी पर देखते हैं। मैं न तो किसी पक्ष का समर्थन करता हूं और न किसी का विरोधी हूं।
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