बीफ और बेटों के झमेले में फंसे लालू, सहना पड़ रहा है तंज
महागठबंधन के सबसे बड़े 'क्राउड पुलर' लालू प्रसाद चुनाव से ठीक पहले बीफ पर अपने विवादास्पद बयान और दोनों बेटों को लेकर बड़े झमेले में फंस गए हैं। उनसे न उगलते बन रहा, न निगलते। भाजपा और उसके सहयोगी उन पर लगातार हमले कर रहे हैं, जिसके जवाब में
पटना। महागठबंधन के सबसे बड़े 'क्राउड पुलर' लालू प्रसाद चुनाव से ठीक पहले बीफ पर अपने विवादास्पद बयान और दोनों बेटों को लेकर बड़े झमेले में फंस गए हैं। उनसे न उगलते बन रहा, न निगलते। भाजपा और उसके सहयोगी उन पर लगातार हमले कर रहे हैं, जिसके जवाब में वह तरह-तरह की दलीलें दे रहे हैं।
मंगलवार को ट्वीट कर बोले-'कुत्ते पालने वाले हम गौ-पालकों को न सिखाएं। छोटे बेटे के मैट्रिक भी नहीं पास करने और दोनों बेटों की उम्र को लेकर उठे विवाद पर तो वह कुछ बोल भी नहीं पा रहे। लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने उन पर यह कह तंज किया कि जब खुद अपने बेटे को ही पढ़ा नहीं पाए तो बिहार को क्या पढ़ाएंगे?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लालू प्रसाद के बयान से हुए नुकसान का पूरा-पूरा एहसास है, और शायद इसी कारण वह इस मुद्दे पर खामोश हैं। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी उनकी चुप्पी पर सवाल खड़े कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस बीफ शब्द की परिभाषा बताने में लगी है। जदयू सूत्रों ने बताया कि लालू प्रसाद का बीफ पर बयान अचानक और जल्दबाजी में दिया हुआ बयान नहीं था। उन्हें एहसास था कि गौ मांस को लेकर बयानबाजी होगी। उन्होंने इस बयानबाजी को अपने बयान से उस चरम तक पहुंचा दिया, जहां तक बात धीरे-धीरे पहुंच पाती। उन्होंने इस मुद्दे को अचानक बहुत ज्यादा हवा भर फोडऩे की कोशिश की लेकिन इस चक्कर में वह खुद ही फंस गए। उनपर हो रहे चौतरफा हमले का उनके सहयोगी दल भी जवाब नहीं दे रहे। इस मुद्दे पर वह अकेले पड़ गए हैं। खुद एक दिन में कई ट्वीट कर जवाब देने की कोशिश में लगे हैं।
छोटे बेटे तेजस्वी यादव का मैट्रिक भी पास नहीं करना उनके लिए अलग एक मुसीबत साबित हो रहा है। इसे लेकर चारों ओर से उनपर सवालों की बौछार हो रही है। बात यहीं तक नहीं रुकी है। तेजस्वी यादव छोटे बेटे हैं, लेकिन नामांकन के समय दाखिल किए गए शपथ पत्र एवं जन्म पत्र के प्रमाण के मुताबिक तेजस्वी बड़े बेटे तेजप्रताप यादव से बड़े हैं। बेटे का मैट्रिक पास नहीं करना और उम्र का विवाद अबतक पर्दे में ही था, जो अचानक एक साथ सामने आया है। वह इस कारण कि दोनों बेटे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, और नामांकन के समय दोनों बातें सार्वजनिक हो गईं। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने तो लालू प्रसाद के बेटों की 17 लाख की मोटरसाइकिल और 40 लाख की बीएमडब्ल्यू गाड़ी पर भी सवाल किए हैं। गरीबी, पिछड़ेपन और आरक्षण की दुहाई दे रहे लालू प्रसाद के लिए यह सवाल और मुसीबत लेकर आएगा।
लालू प्रसाद को परेशान कर रहे ये मामले सोशल मीडिया पर भी खूब उछल रहे हैं। यह बयान और इसके जवाब में आ रहे बयान मतदाताओं के ध्रुवीकरण का आधार बनते जा रहे हैं, जो महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार के लिए भी नई मुसीबत पैदा कर रहे हैं। हर दिन सात जनसभाएं कर रहे लालू प्रसाद के जाति आधारित बयान पहले भी नीतीश कुमार को असहज कर चुके हैं। देखा जाए तो न केवल नीतीश कुमार, बल्कि दूसरे सहयोगी दल कांग्रेस के भी सभी नेता प्रचार अभियान में किसी भी प्रकार के विवादित बयान से परहेज कर रहे हैं, जबकि लालू प्रसाद अपने अंदाज में लगे हैं। मंगलवार को उन्होंने एक जनसभा में कहा कि भाजपा के लोग दारू पिलाकर दंगा कराना चाहते हैं।