मोबाइल फोन का हिस्सा नहीं बैटरी चार्जर
मोबाइल फोन का चार्जर मोबाइल फोन का हिस्सा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वतंत्र उत्पाद माना है, जिसकी सेल फोन को बेचे बगैर अलग से बिक्री की जा सकती है। टैक्स की वसूली के लिए बैटरी चार्जर को मोबाइल फोन का हिस्सा ठहराने के पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट
नई दिल्ली। मोबाइल फोन का चार्जर मोबाइल फोन का हिस्सा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वतंत्र उत्पाद माना है, जिसकी सेल फोन को बेचे बगैर अलग से बिक्री की जा सकती है। टैक्स की वसूली के लिए बैटरी चार्जर को मोबाइल फोन का हिस्सा ठहराने के पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए शीर्ष न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है।
हाई कोर्ट ने नोकिया इंडिया की दलील स्वीकारते हुए फैसला सुनाया था। कंपनी का कहना था कि बैटरी चार्जर की बिक्री सेल फोन के साथ संयुक्त पैकेज के तौर पर की जाती है। लिहाजा टैक्स की रियायती दरों के दायरे से इसे बाहर नहीं रखा जा सकता है। ये रियायती दरें सेल फोन और उसके हिस्सों पर लागू होती हैं।
हाई कोर्ट के आदेश को पलटते हुए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय और एमबी लोकुर की बेंच ने मूल्यवर्धित कर ट्रिब्यूनल के फैसले को सही ठहराया। कर प्राधिकरणों से सहमति जताते हुए ट्रिब्यूनल ने कर की वसूली के लिए हैंडसेट और चार्जर को अलग-अलग कंपोनेंट करार दिया था। शीर्ष न्यायालय ने 2005 से 2006 और 2006 से 2007 के आकलन वर्षो के लिए कर संबंधी मामलों की सुनवाई करते हुए ताजा फैसला सुनाया।
अपने आदेश में बेंच ने ट्रिब्यूनल के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बैटरी चार्जर मोबाइल फोन की महज एक्सेसरी भर है। ट्रिब्यूनल ने नोकिया की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी पर भी गौर किया था। इसमें कंपनी ने निरपवाद रूप से मोबाइल बैटरी चार्जर को एक्सेसरी (अतिरिक्त उपकरण) की श्रेणी में रखा है। यानी सामान्य बोलचाल में भी मोबाइल बैटरी चार्जर को एक्सेसरी ही समझा जाता है।