मुंबई में शिव-वड़ा का जवाब होगा बाटी-चोखा
पूर्वी उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में बाटी-चोखा मेहनतकश लोगों के पेट भरने का साधन माना जाता है। लेकिन मुंबई में यही बाटी-चोखा उत्तरभारतियों को लुभाने का राजनीतिक प्रतीक बनने जा रहा
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। पूर्वी उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में बाटी-चोखा मेहनतकश लोगों के पेट भरने का साधन माना जाता है। लेकिन मुंबई में यही बाटी-चोखा उत्तरभारतियों को लुभाने का राजनीतिक प्रतीक बनने जा रहा है।
आगामी शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने मुंबई के 10,000 लोगों को बाटी-चोखा का न्यौता दिया है। इनमें उत्तर भारतीय समाज की जानी-मानी हस्तियों से लेकर रेहड़ी-खोमचे वाले तथा ऑटो-टैक्सी ड्राइवर तक शामिल हैं।
गोरेगांव स्थित विशाल प्रदर्शनी मैदान में शाम को मुख्यमंत्री स्वयं उत्तरभारतियों के साथ मेज-कुर्सी पर पंगत में बैठकर आटे की लोई में चने का सत्तू भर कर गोबर के कंडे में सेंकी गई देशी घी में सनी बाटी तथा आलू-बैंगन के चटपटे चोखे का स्वाद लेते दिखाई देंगे। क्योंकि अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे मुंबई महानगरपालिका एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान वह भाजपा को मुंबई के उत्तरभारतीयों की हितैषी एवं करीबी पार्टी सिद्ध करना चाहते हैं।
मुंबई भाजपा के महासचिव अमरजीत मिश्र के अनुसार आयोजन का जिम्मा मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार का सौंपा गया है। आयोजन में विनोद तावड़े एवं प्रकाश मेहता जैसे वरिष्ठ मंत्रियों के अलावा फड़नवीस मंत्रिमंडल में एकमात्र हिंदीभाषी मंत्री विद्या ठाकुर भी उपस्थित रहेंगी।
उत्तरभारतियों को जोड़ने के लिए बाटी-चोखा का ही निमंत्रण क्यों ? इसका जवाब देते हुए अमरजीत कहते हैं कि शिवसेना से अलग चुनाव लड़कर पिछले विधानसभा चुनाव में उससे करीब दोगुनी सीटें जीतकर लाने वाली भाजपा इस बार मुंबई महानगर पालिका चुनाव में भी अपने दम पर सत्ता में आने की रणनीति बना रही है।
फिलहाल करीब 20 वर्षों से लगातार मुंबई मनपा पर शिवसेना का कब्जा है। मुंबई की सत्ता ही शिवसेना की असली ताकत समझी जाती है। शिवसेना ज्यादातर मराठी वोटबैंक के भरोसे है, जिसका मेहनतकश समाज अक्सर सात से 15 रुपए के बीच मिलनेवाला वड़ा-पाव खाकर अपना गुजारा कर लेता है।
इस वर्ग का ख्याल रखते हुए ही शिवसेना ने मुंबई में जगह-जगह शिव वड़ा-पाव के ठेले लगवाकर मराठी युवकों को रोजगार देने का प्रयास भी किया है। भाजपा इसकी काट पूर्वी उत्तरप्रदेश में मेहनतकश वर्ग का विशेष आकर्षण समझी जानेवाली बाटी-चोखा से करना चाहती है। क्योंकि मुंबई के करीब 40 लाख हिंदीभाषियों में सर्वाधिक संख्या पूर्वी उत्तरप्रदेशवालों के ही है।
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