LLB पाठ्यक्रमों के लिए बार काउंसिल ने ऊपरी उम्र सीमा को रखा बहाल
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एलएलबी पाठ्यक्रमों के लिए ऊपरी उम्र की सीमा को बहाल रखने का फैसला किया है।
नई दिल्ली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एलएलबी थ्री इयर और फाइव इयर इंटीग्रेटेड कोर्स के लिए ऊपरी उम्र सीमा 30 वर्ष और 20 वर्ष को बरकरार रखा है।बार काउंसिल ने लीगल एजूकेशन रूल 2008 में क्लॉज 28 को बहाल कर दिया है। इससे पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने क्लॉज 28 को वर्ष 2013 में वापस ले लिया था जिसके बाद इन पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए ऊपरी उम्र सीमा की बाध्यता खत्म हो गयी थी। लेकिन बार काउंसिल के फैसले के खिलाफ मद्रास हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।मद्रास हाइकोर्ट की मदुरै बेंच ने बार काउंसिल के फैसले को रद कर दिया। मदुरै बेंच के फैसले के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की लेकिन काउंसिल की स्पेशल लीव अपील को उच्चतम न्यायालय ने नवंबर 2015 में खारिज कर दी।
BCI सर्कुलर का विरोध
17 सितंबर 2016 को काउंसिल द्वारा जारी सर्कुलर का विरोध हो रहा है। एक कॉलेज के प्रिंसिपल के मुताबिक एडमिशन की ज्यादातर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। बार काउंसिल के इस सर्कुलर के बाद उन छात्रों को अब दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जो इस उम्र सीमा को पार कर चुके हैं। इस मामले में राज्य सरकारों की तरफ से भी स्पष्ट आदेश नहीं मिले हैं। एक शिक्षक ने बार काउंसिल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब 90 वर्ष का शख्स अदालतों में प्रैक्टिस कर सकता है,तो उस हालात में आप नए छात्रों पर उम्र सीमा का बंधन कैसे लगा सकते हैं।
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छात्रों पर लटकी तलवार
कई कॉलेजों का कहना है कि इसे लागू कर पाना अब मुश्किल होगा। कॉलेजों के मुताबिक एडमिशन प्रक्रिया की शुरुआत में बार काउंसिल के पहले के दिशानिर्देशों के तरह प्रास्पेक्टस में ऊपरी उम्र सीमा के बारे में कुछ नहीं बताया गया था। अब बार काउंसिल का फैसला छात्रों के नैसर्गिक न्याय के खिलाफ होगा।
बार काउंसिल के सतीश देशमुख का कहना है कि कॉलेजों को उम्र संबंधी सीमा में किसी तरह के बदलाव के लिए नहीं कहा गया था। अगर कॉलेजों द्वारा ऐसे छात्रों को एडमिशन दिया गया है जो उम्र सीमा की बाध्यता को नहीं पूरी करते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी।