किस किस फ्रॉड से बचें बैंक ग्राहक
ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता गया। बैंकों में होने वाले फ्राड (धोखाधड़ी) का मामला भी कुछ ऐसा ही है। आरबीआई व सरकार बैंकिंग फ्राड को रोकने की जितनी कोशिश कर रही है उतना ही यह बढ़ता
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता गया। बैंकों में होने वाले फ्राड (धोखाधड़ी) का मामला भी कुछ ऐसा ही है। आरबीआई व सरकार बैंकिंग फ्राड को रोकने की जितनी कोशिश कर रही है उतना ही यह बढ़ता जा रहा है।
हाल ही में भारतीय बैंकों के करीब 32 लाख ग्राहकों के एटीएम कार्ड की सूचनाओं को चुराने वाली घटना सिर्फ एक बानगी है कि भारत किस कदर वित्तीय साइबर अपराधियों के निशाने पर है। देश के बैंक ग्राहकों पर नाइजीरिया के ऑनलाइन धांधली करने वाले शातिर गिरोहों से लेकर दिल्ली में बुजुर्ग बैंक ग्राहकों को निशाने वाले गिरोहों तक की नजर है।
कोई गिरोह इन्हें करोड़ों रुपये इनाम का लालच दे कर लूट रहा है तो कोई गिरोह सीधे एटीएम के स्विचिंग मशीन से ही सूचना चुरा कर इन्हें चपत लगा रहे हैं।
हालात की गंभीरता आप इस बात से समझ सकते हैं कि वर्ष 2012-13 से वर्ष 2014-15 के बीच 31,348 करोड़ रुपये की राशि का घालमेल डेबिट व क्रेडिट कार्ड घोटाले के जरिए किया गया है। ये घोटाले तब हुए हैं जब भारतीय रिजर्व बैंक साइबर घोटाला रोकने अपनी सिफारिशों में तीन बार संशोधन कर चुका है।
केंद्रीय बैंक ने बैंकों को बार बार सर्तक रहने की चेतावनी भी दे चुका है और इस बारे में उन्हें क्या करना है इसका सुझाव भी दे चुका है। जानकारों का मानना है कि बैंक ग्राहकों की आपसी समझदारी ही सबसे बड़ा बचाव है। आरबीआइ व सरकार बहुत कुछ नहीं कर सकते।
फिशिंग खाते का नहीं निकला समाधान
आये दिन समाचार पत्र फिशिंग खाते के जरिए अपनी गाढ़ी कमाई लुटाने वाले ग्राहकों की खबरों से भरी होती है लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक इसे रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। केंद्रीय बैंक की तरफ से ग्राहकों को सतर्क रहने की चेतावनी देने के अलावा और कुछ नहीं किया गया है।
इसके तहत बैंक ग्राहकों को पहले मेल पर भारी-भरकम ईनाम जीतने की सूचना दी जाती है और उसके बाद जीत की राशि ट्रांसफर करने के लिए कुछ अग्रिम राशि मांगी जाती है। इसमें नाइजीरिया समेत कुछ दूसरे देशों के गिरोहों के नाम सामने आये हैं। भारत में कुछ विदेशी नागरिक गिरफ्तार भी हुए हैं लेकिन अभी भी यह गोरखधंधा बदस्तूर जारी है।
बुजुर्ग ग्राहकों बने आसान निशाना
हाल ही में दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है जो एटीएम से पैसा निकालने वाले बुजुर्गो को अपना निशाना बनाता है। गिरोह के लोग एटीएम के पास घूमते रहते हैं और जैसे ही कोई बुजुर्ग पैसा निकालने जाता है उन्हें मदद करने के नाम पर उससे सूचना हासिल कर लेते हैं। बुजुर्ग को उस बैंक का दूसरा नकली कार्ड दे देते हैं और फिर असली कार्ड से पैसा निकाल कर चंपत हो जाते हैं।?
ग्राहकों पर दोहरी मार
दरअसल, एटीएम फ्राड ग्राहकों पर दोहरी मार करता है। एक तरफ ग्राहकों को वित्तीय हानि होती है, जबकि दूसरी तरफ इसे सुलझाने का कोई ठोस तरीका बैंकों ने अख्तियार नहीं किया है। गलत तरीके से एटीएम के जरिए पैसा गंवाने वाले ग्राहकों को पुलिस थाना, बैंक शाखा और बैंक ओम्बुड्समैन के बीच चक्कर लगाने में महीनों निकल जाते हैं। फिर बैंक का विजिलेंस विभाग जांच करता है। इसमें आरोप सही पाए जाने पर ही ग्राहकों का पैसा वापस मिल पाता है। अगर ग्राहक तीन दिनों के भीतर सूचना नहीं दे पाता है तो उसके लिए पैसा वापस लेना और मुश्किल हो जाता है।
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