जब 'एक दिल' के लिए थम गए दो शहर!
एक बार फिर जरूरतमंद तक दिल पहुंचाने के लिए पुलिस ने चलता ट्रैफिक रोक दिया और एक ब्रेन डेड महिला के दिल को एक दूसरे जरूरतमंद मरीज तक पहुंचा दिया। लेकिन इस बार एक नहीं बल्कि दो-दो शहरों का ट्रैफिक रोका गया वो भी पूरे 54 किलोमीटर लंबी सड़क का ट्रैफिक। 42 किलोमीटर बेंगलूर में और 12 किलोमीटर चेन्नई में ये कवायद एक ब्रेन डेड महिला के दिल को सुरक्षित चेन्नई पहुंचाने के लिए किया गया, जहां एक मरीज का सफल ट्रांसप्लांट किया गया। प्रशासन ने इस पूरी कवा
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बेंगलूर। एक बार फिर जरूरतमंद तक दिल पहुंचाने के लिए पुलिस ने चलता ट्रैफिक रोक दिया और एक ब्रेन डेड महिला के दिल को एक दूसरे जरूरतमंद मरीज तक पहुंचा दिया। लेकिन इस बार एक नहीं बल्कि दो-दो शहरों का ट्रैफिक रोका गया वो भी पूरे 54 किलोमीटर लंबी सड़क का ट्रैफिक। 42 किलोमीटर बेंगलूर में और 12 किलोमीटर चेन्नई में ये कवायद एक ब्रेन डेड महिला के दिल को सुरक्षित चेन्नई पहुंचाने के लिए किया गया, जहां एक मरीज का सफल ट्रांसप्लांट किया गया। प्रशासन ने इस पूरी कवायद को ग्रीन कॉरीडोर का नाम दिया।
400 किमी का सफर किया तय
हमारे-आपके शरीर में जो दिल होता है उसने शरीर से अलग होकर सफर किया। पहले रोड से, फिर विमान से बेंगलूर से चला दिल चेन्नई पहुंचा। करीब 2 घंटे तक दिल घूमता रहा और 400 किलोमीटर का सफर तय किया। चेन्नई के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए बेंगलूर बीजीएस अस्पताल से दिल एक डीफ फ्रीजर बक्से में रखकर भेजा गया। बक्से में बंद दिल लेकर अस्पताल के कर्मचारी पहले रोड से एयरपोर्ट पहुंचे। इसके लिए पुलिस ने सारी रेड लाइट्स क्लीयर रखीं। इसके बाद दिल लेकर कर्मचारी प्लेन से चेन्नई एयरपोर्ट उतरे और फिर रोड के रास्ते अस्पताल पहुंचे। जहां देर शाम एक मरीज को यह दिल सफलता के साथ ट्रांसप्लांट कर दिया गया। बेंगलूर के अस्पताल में एक ब्रेन डेड मरीज का दिल निकाला गया था। किसके शरीर में दिल लगाया गया उसकी पहचान नहीं बताई गई है।
दो महीने पहले भी घटी थी घटना
इससे पहले दो महीने पहले चेन्नई में भी इस प्रकार की घटना हो चुकी है जब 17 जून को चेन्नई में ट्रांसप्लांट के लिए 12 किलोमीटर का रूट खाली कराया गया था। इससे दिल मात्र 13 मिनट में अस्पताल पहुंच गया था और समय पर हार्ट ट्रांसप्लांट होने से एक युवक की जान बच गई थी।