विरोध के बाद सरकार ने पॉर्न साइट्स पर लगे बैन को हटाया
पोर्न और अश्लील इंटरनेट वेबसाइटों को प्रतिबंधित करने के मुद्दे पर सोशल मीडिया और विपक्ष के निशाने पर रही केंद्र सरकार ने मंगलवार को अपने फैसले में कुछ बदलाव किए। केंद्र ने चाइल्ड पोर्न से जुड़ी सभी वेबसाइटों पर प्रतिबंध बरकरार रखते हुए कई अन्य किस्म की अश्लील वेबसाइटों से
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पोर्न और अश्लील इंटरनेट वेबसाइटों को प्रतिबंधित करने के मुद्दे पर सोशल मीडिया और विपक्ष के निशाने पर रही केंद्र सरकार ने मंगलवार को अपने फैसले में कुछ बदलाव किए। केंद्र ने चाइल्ड पोर्न से जुड़ी सभी वेबसाइटों पर प्रतिबंध बरकरार रखते हुए कई अन्य किस्म की अश्लील वेबसाइटों से प्रतिबंध हटा लिया है।
यह फैसला मंगलवार को संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद किया गया। बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी सचिव आरएस शर्मा और एडीशनल सोलिसिटर जनरल पिंकी आनंद भी शामिल थीं।
सरकारी सूत्रों ने बताया, 'सरकार ने इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनियों को यह निर्देश दिया है कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े साइट्स पर पाबंदी जारी रखें। अन्य साइटों पर आगे चल कर फैसला किया जाएगा। सरकार ने जिन 857 वेबसाइटों को बंद किया था उनमें से कई चुटकुलों व सामान्य फिल्मों से जुड़ीं वेबसाइट थीं। मोटे तौर पर जब तक कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं हो जाता सरकार सामान्य पोर्न साइटों पर फिलहाल अपनी मर्जी नहीं थोपना चाहती।' सरकार का यह फैसला कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इस विषय में तल्ख बयान देने के कुछ ही घंटों बाद आया है। राहुल ने सोमवार को कहा था कि सरकार इंटरनेट पर पाबंदी लगाना चाहती है।
वैसे प्रसाद ने विगत सोमवार को ही स्पष्ट किया था कि केंद्र सरकार तालिबान की तरह कदम नहीं उठाना चाहती है। वैसे दूरसंचार विभाग ने 31 जुलाई, 2015 को लगभग साढ़े आठ सौ वेबसाइटों को प्रतिबंधित कर दिया था। इन साइटों पर पोर्न साइट्स होने और इससे सामाजिक सुरक्षा को खतरा होने का आरोप लगाया था। इसके खिलाफ सोशल साइट्स पर जबरदस्त अभियान चलाया गया कि केंद्र सरकार तालिबानी फैसला कर रही है और अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगा रही है। सरकारी सूत्रों ने बताया है कि यह रोक कोर्ट में चल रहे मामले को देखते हुए लगाई गई है। सरकार इस पर ओम्बुड्समैन जैसी व्यवस्था करने पर भी विचार कर रही है।