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सीआइएसएफ परिसरों में नए पूजास्थलों पर रोक

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल [सीआइएसएफ] के जवान अब नए परिसरों के भीतर पूजा-अर्चना नहीं कर पाएंगे। इन परिसरों में किसी प्रकार के धार्मिक स्थल बनाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। दस दिन पहले जारी आदेश में कहा गया है कि सीआइएसएफ परिसरों में बढ़ते पूजास्थलों के कारण न सिर्फ अ‌र्द्धसैनिक बल के भीतर अनुशासन

By Edited By: Published: Wed, 28 Aug 2013 08:16 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2013 08:17 PM (IST)
सीआइएसएफ परिसरों में नए पूजास्थलों पर रोक

नई दिल्ली, [नीलू रंजन]। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल [सीआइएसएफ] के जवान अब नए परिसरों के भीतर पूजा-अर्चना नहीं कर पाएंगे। इन परिसरों में किसी प्रकार के धार्मिक स्थल बनाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। दस दिन पहले जारी आदेश में कहा गया है कि सीआइएसएफ परिसरों में बढ़ते पूजास्थलों के कारण न सिर्फ अ‌र्द्धसैनिक बल के भीतर अनुशासनहीनता पनप रही थी, बल्कि इनमें बाहरी लोगों के आने से सुरक्षा भी खतरे में थी। सीआइएसएफ पहला सैन्यबल है, जिसके परिसरों में पूजास्थल बनाने पर रोक लगाई गई है। इस आदेश से अ‌र्द्धसैनिक बल के जवानों में गहरी नाराजगी है।

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इसी महीने की 18 तारीख को जारी सर्कुलर में सीआइएसएफ के परिसरों में धार्मिक स्थलों के निर्माण पर चिंता जाहिर की गई है। इसके अनुसार विभिन्न स्थानों पर तैनात यूनिटों के कैंपस में धार्मिक स्थलों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इनमें वरिष्ठ अधिकारी और सामान्य जवान एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे अनुशासन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही इन धार्मिक स्थलों में स्थानीय बाहरी लोग भी पूजा करने पहुंच जाते हैं, जिनमें असमाजिक तत्वों, नक्सलियों व आतंकियों के शामिल होने की आशंका को नकारा नही जा सकता है। सर्कुलर में पुराने परिसरों में पहले से बने पूजास्थलों में अवांछित लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के कड़े निर्देश जारी किए गए हैं।

वैसे तो सर्कुलर में धार्मिक स्थल शब्द का प्रयोग किया गया है, लेकिन सच्चाई यह है कि इनमें अधिकांश मंदिर हैं। जाहिर है सर्कुलर का मुख्य उद्देश्य इन मंदिरों के निर्माण पर रोक लगाना है। इस आदेश से नाराज सीआइएसएफ के एक जवान ने कहा कि अनुशासनहीनता और सुरक्षा केवल बहाना है। दरअसल, सीआइएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी सरकार की नजर में खुद को धर्मनिरपेक्ष दिखाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उनका कहना है कि सीआइएसएफ के गठन से आज तक इन धार्मिक स्थलों से न अनुशासनहीनता और न ही सुरक्षा के खतरे की कोई शिकायत आई है। अगर ऐसा होता तो सेना, सीआरपीएफ, आइटीबीपी, बीएसएफ, सीसीएफ जैसे दूसरे अ‌र्द्धसैनिक बलों के परिसरों में भी रोक लगाई जाती।

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