डीजल टैक्सी बैन सरकार की SC में दलील, कहा- अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बुरा असर
सालिसीटर जनरल ने कहा कि डीजल टैक्सी बैन से बीपीओ का कारोबार प्रभावित हो रहा है। अगर उन्हें कारोबार की सुविधा नहीं मिली तो वे देश छोड़ कर जा सकती हैं जिससे अर्थ व्यवस्था पर असर पड़ेगा।
नई दिल्ली,जागरण ब्यूरो। दिल्ली एनसीआर में डीजल टैक्सियों पर रोक के खिलाफ केंद्र सरकार भी सुप्रीमकोर्ट पहुंच गई है। केंद्र ने बीपीओ कंपनियों के कारोबार प्रभावित होने की दुहाई देते हुए कोर्ट से राहत की गुहार लगाई। सालिसीटर जनरल ने कहा कि डीजल टैक्सी बैन से बीपीओ का कारोबार प्रभावित हो रहा है। अगर उन्हें कारोबार की सुविधा नहीं मिली तो वे देश छोड़ कर जा सकती हैं जिससे अर्थ व्यवस्था पर असर पड़ेगा।
गुरूवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने इस बारे में केंद्र सरकार जल्दी कोर्ट में अर्जी दाखिल करेगी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने डीजल टैक्सी रोक मामले में राहत देने का अनुरोध करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश से बीपीओ कंपनियों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। बीपीओ कर्मचारियों को लाने ले जाने के लिए टैक्सियों का प्रयोग करती हैं जिनमें डीजल टैक्सियां भी होती हैं। बीपीओ कंपनियों के जरिये काफी विदेशी मुद्रा आती है। अगर उन्हें यहां कारोबार की सुविधा नहीं मिली तो वे देश छोड़कर दूसरे देश चली जाएंगी जिसका अर्थ व्यवस्था पर असर पड़ेगा।
कुमार ने यह भी कहा कि ये मामला बीपीओ कर्मचारियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। केंद्र सरकार जल्दी ही इस बारे में अर्जी दाखिल करेगी। बीपीओ कंपनियों को असुविधा की दलील पर पीठ ने उनसे कहा कि ये लोग कर्मचारियों को लाने ले जाने के लिए बसें क्यों नहीं किराए पर लेतीं। इस पर कुमार ने कहा कि बीपीओ के लिए ये संभव नहीं है क्योंकि वे ज्यादातर रात में पिकअप और ड्राप के लिए होते हैं।
इस बीच दिल्ली सरकार ने कहा कि उसने डीजल टैक्सियों का पंजीकरण रोक दिया है। दूसरी तरफ पर्यावरण प्रदूषण अथारिटी (ईपीसीए) की वकील और मामले में न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने कोर्ट को बताया कि ईपीसीए डीजल टैक्सियों पर रोक से उपजी स्थिति पर दिल्ली सरकार और अन्य पक्षों के साथ मिल कर विचार कर रहा है। जिसमें डीजल टैक्सियों को चरण बद्ध तरीके से हटाए जाने की योजना तैयार की जा रही है। पीठ ने उनसे अगली सुनवाई 9 मई को योजना का खाका पेश करने को कहा है। कोर्ट ने केंद्र से भी योजना देने को कहा है। कोर्ट को बताया गया कि आल इंडिया परमिट के तहत पंजीकृत डीजल टैक्सियों का उपयोग ओला और उबर दिल्ली में भी करते हैं। मामले में कोर्ट 9 मई को फिर सुनवाई होगी।
सुप्रीमकोर्ट ने दिल्ली में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए किये जा रहे उपायों में दिल्ली एनसीआर में डीजल टैक्सियों पर रोक लगा दी थी। शुरूआत में कोर्ट ने डीजल टैक्सी आपरेटरों को डीजल टैक्सियां सीएनजी में तब्दील कराने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया था जिसे बाद में बढ़ा कर 30 अप्रैल कर दिया था। 30 अप्रैल के बाद समय बढ़ाने से कोर्ट ने इन्कार कर दिया था। टैक्सी आपरेटर डीजल टैक्सी पर रोक का विरोध कर रहे हैं। डा्रइवरों ने विरोध में दो दिन प्रदर्शन भी किया जिससे दिल्ली में भारी जाम लगा रहा। इसके बाद दिल्ली सरकार सुप्रीमकोर्ट पहुंची थी और कुछ और समय दिये जाने का अनुरोध किया था। जिस पर कोर्ट ने दिल्ली से दो दिन के भीतर डीजल टैक्सियों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना पेश करने को कहा था।
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