कंप्यूटर पर नाचती हैं बैगा महिलाओं की उंगलियां
कभी स्कूल का मुंह नहीं देखने वाली आदिवासी बैगा महिलाएं अब कंप्यूटर चलाने लगी हैं। यही नहीं कंप्यूटर पर इनकी उंगलियां फटाफट चलती हैं। कंप्यूटर में एमएस वर्ड और एक्सल को भलीभांति जान चुकी हैं। कंप्यूटर पर केलकुलेटर से लेकर गेम खेलने में भी माहिर हो गई हैं। इतना ही नहीं
मदन रामटेके, राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)। कभी स्कूल का मुंह नहीं देखने वाली आदिवासी बैगा महिलाएं अब कंप्यूटर चलाने लगी हैं। यही नहीं कंप्यूटर पर इनकी उंगलियां फटाफट चलती हैं। कंप्यूटर में एमएस वर्ड और एक्सल को भलीभांति जान चुकी हैं। कंप्यूटर पर केलकुलेटर से लेकर गेम खेलने में भी माहिर हो गई हैं।
इतना ही नहीं अपने बच्चों के साथ महिलाएं यहां के लोक शिक्षा केंद्र में आती हैं और अपने बच्चों को कंप्यूटर सिखा रही हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र बकरकट्टा के बीहड़ जंगल में बसे गांव खादी की हैं ये महिलाएं। इनकी उम्र भी 40 से 60 के बीच पहुंच गई है। ये महिलाएं पूरी तरह निरक्षर थीं।
इन्हें पहले राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के तहत साक्षर किया गया। साक्षरता परीक्षा में महिलाओं ने ए ग्रेड हासिल किया। सुखबती गोंड, फुलवा बाई सहित अन्य महिलाएं पहले साक्षर हुईं। इसके बाद गांव में स्थित लोक शिक्षा केंद्र में रखे कंप्यूटर को सीखने में रुचि दिखाई। इसे देखकर लोक शिक्षा केंद्र के प्रेरकों ने भी पूरी रुचि से इन्हें कंप्यूटर की बारीकियां बताईं।
देखते ही देखते आदिवासी बैगा महिलाएं कंप्यूटर की जानकार बन गईं। इसमें टाइपिंग करना और अन्य काम करना तेजी से करने लगी। आदिवासी महिलाएं खुद कंप्यूटर सीख कर अब अपने बच्चों को भी कंप्यूटर की बारीकियां खुद सिखा रही हैं।
[साभार: नई दुनिया]