बुलंदशहर गैंगरेप पर दिए बयान पर बढ़ सकती हैं आजम की मुश्किलें
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर दो मई को अगली सुनवाई करेगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति मंत्री पद को स्वीकार करता है तो वो सामान्य नागरिक के बोलने की आजादी के अधिकार का उस तरह इस्तेमाल नहीं कर सकता। ना ही वो सरकारी पॉलिसी के खिलाफ कोई बयान दे सकता है।
याद दिला दें कि आजम खान ने बयान दिया था कि बुलंदशहर गैंगरेप समाजवादी पार्टी सरकार को बदनाम करने की साजिश थी।
सुनवाई के दौरान एमिकस क्युरी हरीश साल्वे ने कहा कि मंत्री सामूहिक जिम्मेदारी के अपने संवैधानिक दायित्व से बंधे होते हैं और वे सरकार की घोषित नीति से अलग नहीं बोल सकते हैं। एक व्यक्ति अगर मंत्री का पद ग्रहण करता है तो वो व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल नहीं कर सकता है और वो सरकार के उलट बयान नहीं दे सकता।
बुलंदशहर में मां-बेटी के साथ गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट अहम सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में महिलाओं से रेप के मामले में ओहदे पर बैठे शख्स द्वारा बयानबाजी पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़े संवैधानिक सवाल उठाए थे कि...
- देश के संविधान ने महिलाओं को समान अधिकार, अलग पहचान और गरिमापूर्व जीवन जीने के अधिकार दिए हैं।
- ऐसे में किसी रेप पीड़ित महिला के खिलाफ ओहदे पर बैठे व्यक्ति की बयानबाजी क्या महिला के गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार को ठेस नहीं पहुंचाती।
- क्या रेप जैसे गंभीर अपराध को पब्लिक आफिस में बैठा व्यक्ति राजनीतिक साजिश करार दे सकता है?
- क्या से पीड़िता महिला के संविधान के दिए फ्री एंड फेयर ट्रायल का हनन नहीं क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है।
- संविधान द्वारा दिया गया कोई भी मौलिक अधिकार संपूर्ण नहीं क्योंकि ये कानून नियंत्रित है।
- ऐसे में कोई भी शख्स ये नहीं कह सकता है रेप जैसे मामलों में ऐसी बयानबाजी बोलने के अधिकार के मौलिक अधिकार के दायरे में आता है।
- यहां मामला सिर्फ किसी की बोलने की आजादी का अधिकार का नहीं बल्कि पीडिता के कानून के समक्ष समान संरक्षण और फ्री एंड फेयर ट्रायल के अधिकार का भी है।
- अगर आरोपी ये कहता है कि उसे साजिश के तहत फंसाया गया तो बात दूसरी है लेकिन कोई डीजीपी कहता है कि पीड़िता झूठी है तो पुलिस मामले की क्या जांच करेगी?
- यहां सवाल ये है कि ओहदे पर बैठे व्यक्ति के इस तरह बयानबाजी भले ही कोई अपराध के दायरे में ना हो लेकिन वो संविधान में दिए गए नैतिकता और शिष्टाचार के दायरे में भी आता है।
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