Ayodhya Case: SC के वो 5 जज, जिन्होंने 40 दिन में पूरी की वर्षों पुराने मामले की सुनवाई
Ayodhya Case 500 साल पुराने अयोध्या विवाद के फैसला के इंतजार में दो सदियां बीत चुकी हैं। अब SC की पांच सदस्यीय बेंच ने 40 दिन में सुनवाई पूरी कर ली है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। करीब 500 साल पुराने अयोध्या केस में फैसले का इंतजार करते-करते लगभग दो सदियां बीत चुकी हैं। इस दौरान केस में कई अहम मोड़ आए। ये विवाद इतिहास के सबसे बड़े दंगों में से एक की वजह भी बना। तमाम उचार-चढ़ाव के बावजूद अयोध्या केस आज भी पूरे देश के लिए एक अहम मुद्दा बना हुआ है। यही वजह है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हमेशा से राजनीति के सबसे मुद्दों में भी शामिल रहा है। पक्ष हो या विपक्ष सबने अयोध्या विवाद को अपने-अपने तरीके से हवा दी है। ये केस इतना जटिल है कि अब तक हुए सुलह के सभी प्रयास असफल साबित रहे हैं।
अयोध्या विवाद की जटिलता ने अंग्रेजों के भी पसीने छुड़ा दिए थे और ब्रिटिश साम्राज्य भी ये विवाद सुलझाने में नाकाम रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस केस में महज 40 दिनों में सुनवाई पूरी कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने केस की गंभीरता को देखते हुए इस पर नियमित सुनवाई की। खास बात ये है कि महज 40 दिन चली सुनवाई में भी सभी पक्षों को अपनी बात रखने का पूरा और पर्याप्त मौका दिया गया। अब सुनवाई पूरी हो चुकी है और पूरे देश को फैसले का इंतजार है। अनुमान लगाया जा रहा है कि नवंबर माह के पहले सप्ताह तक सुप्रीम कोर्ट इस बहुप्रतीक्षित केस में फैसला सुना सकता है। ऐसे में ये भी जानना जरूरी है कि रिकॉर्ड समय में इस ऐतिहासिक केस की सुनवाई पूरी करने वाले वो पांच जज आखिर हैं कौन?
1. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi)
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई, अयोध्या केस की सुनवाई करने वाली पांच जजों की बेंच की अगुवाई कर रहे हैं। 18 नवंबर 1954 को पैदा हुए रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के 46वें मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली थी। उनके पिता केशब चंद्र गोगोई, 1982 में असम राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। पूर्वोत्तर से भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले, जस्टिस रंजन गोगोई पहले व्यक्ति हैं। 1978 में पहली बार वह बार काउंसिल में पंजीकृत हुए और वर्ष 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के भी जज रह चुके हैं। 2010 में वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज बने और एक साल बाद 2011 में वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। 23 अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए गए थे। अगले माह, 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हो रहे जस्टिस रंजन गोगोई ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की है। अयोध्या केस के अलावा उन्होंने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने जैसी याचिकाओं पर भी सुनवाई की है।
2. जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (Justice Sharad Arvind Bobde)
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (एसए बोबड़े), अयोध्या केस की सुनवाई करने वाली बेंच के दूसरे जज हैं। 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में जन्में जस्टिस बोबड़े, 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र से जुड़े थे। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में बतौर वकील वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। वर्ष 1998 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता बना दिया गया था। इसके बाद वर्ष 2000 में वह बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाए गए। बाद में वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के भी मुख्य न्यायाधीश बने। वर्ष 2013 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया। 23 अप्रैल 2021 को जस्टिस बोबड़े सेवानिवृत्त होंगे। जस्टिस बोबड़े, महाराष्ट्र नेशन लॉ यूनिवर्सिटी, मुंबई और महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी नागपुर में बतौर चांसलर भी सेवाएं दे चुके हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।
3. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud)
जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (डीवाई चंद्रचूड़), अयोध्या केस की सुनवाई करने वाली बेंच के तीसरे जज हैं। उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ दुनिया की कई प्रसिद्ध यूनिवर्सिटियों में लेक्चर दे चुके हैं। जज बनने से पहले वह देश के सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से पहले जस्टिस चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। बॉम्बे हाईकोर्ट में भी वह बतौर जज कार्य कर चुके हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या केस से पहले सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता जैसे कई बड़े केस में सुप्रीम कोर्ट की पीठ का हिस्सा रह चुके हैं।
4. जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan)
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पांच जुलाई 1956 को पैदा हुए जस्टिस अशोक भूषण 1979 में पहली बार यूपी बार काउंसिल से जुड़ थे। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की और वहां कई अहम पदों पर काम भी कर चुके हैं। 2001 में वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही जज नियुक्त कर दिए गए। वर्ष 2014 में जस्टिस अशोक भूषण केरल हाईकोर्ट के जज बने। वर्ष 2015 में वह केरल हाईकोर्ट के ही चीफ जस्टिस बना दिए गए। 13 मई 2016 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बना दिए गए।
5. जस्टिस अब्दुल नजीर (Justice Abdul Nazeer)
कर्नाटक में जन्में जस्टिस अब्दुल नजीर ने मैंगलुरू (Mangaluru) के एसडीएम लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की। वर्ष 1983 में उन्होंने बैंगलुरू स्थित कर्नाटक हाईकोर्ट से वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। इसी वर्ष हाईकोर्ट की बार काउंसिल में उनका पंजीकरण हुआ था। मई 2003 में वह कर्नाटक हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने और फिर वहीं परमानेंट जज बना दिए गए। 17 फरवरी 2017 को जस्टिस अब्दुल नजीर सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए गए। वह बिना किसी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बने, सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले तीसरे जज हैं। जस्टिस नजीर, वर्ष 2017 में ट्रिपल तलाक पर सुनवाई करने वाली बेंच का भी हिस्सा रह चुके हैं।