चुनावों में धन बल के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने की तैयारी
जनवरी तक असम, गुजरात, हरियाणा, पंजाब और यूपी को छोड़कर अन्य सभी राज्यों ने चुनाव में घूस को संज्ञेय अपराध बनाने का समर्थन किया है।
नई दिल्ली (पीटीआई)। सब कुछ ठीक रहा तो चुनावों में धन बल के इस्तेमाल पर अंकुश लगाया जा सकेगा। जनवरी तक असम, गुजरात, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश को छोड़कर अन्य सभी राज्यों ने चुनाव में घूस को संज्ञेय अपराध बनाने का समर्थन किया है। निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय ने राज्यों से राय मांगी थी।
फिलहाल सीआरपीसी के तहत यह सामान्य अपराध की श्रेणी में आता है। दोषी पाए जाने पर एक साल कैद अथवा जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है। संज्ञेय अपराध में पुलिस वारंट के बिना आरोपी को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर सकती है। आइपीसी और सीआरपीसी में संशोधन का अधिकार गृह मंत्रालय के अधीन आता है। चुनाव आयोग ने कुछ वर्ष पहले मंत्रालय से सीआरपीसी को संशोधित कर चुनाव में घूस देने को संज्ञेय अपराध बनाने का आग्रह किया था।
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आयोग के प्रस्ताव पर सीआरपीसी (संशोधन) विधेयक, 2012 का मसौदा तैयार किया गया था। इसमें संशोधन करने के लिए आधे राज्यों का समर्थन अनिवार्य है। इसे देखते हुए मंत्रालय ने राज्यों से विचार मांगे थे। ज्यादातर राज्यों ने आयोग के प्रस्ताव का समर्थन किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने एक दिसंबर, 2016 को गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर विधेयक के मसौदे को आगे बढ़ाने का आग्रह किया था।
आयोग का मानना है कि चुनावों में घूस को संज्ञेय अपराध बनाने पर मतदाताओं को पैसे के बल पर प्रभावित करने के मामलों पर लगाम लगाई जा सकेगी। साथ ही ऐसे लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई भी संभव होगी। जैदी ने अपने पत्र में धन बल को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए नुकसानदेह बताया था। इससे पहले चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय से जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर धनबल का सुबूत मिलने पर चुनाव रद करने का अधिकार आयोग को देने का आग्रह किया था। कानून मंत्रालय ने इसे अस्वीकार कर दिया था। जैदी ने एक बार फिर से कानून मंत्रालय को पत्र लिखा है। चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अधिकार प्राप्त होते हैं।