एम्स में वीवीआइपी कमरा चाहते थे आसाराम
दुष्कर्म के आरोप में जोधपुर जेल की हवा खा रहे कथावाचक आसाराम बापू की भले भारी फजीहत हो रही हो, लेकिन उनकी हनक में कोई कमी नहीं है। लंबे समय तक संत बने रहे आसाराम को अब भी अपने वीवीआइपी होने का मुगालता बना हुआ है। शायद यही वजह है
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दुष्कर्म के आरोप में जोधपुर जेल की हवा खा रहे कथावाचक आसाराम बापू की भले भारी फजीहत हो रही हो, लेकिन उनकी हनक में कोई कमी नहीं है। लंबे समय तक संत बने रहे आसाराम को अब भी अपने वीवीआइपी होने का मुगालता बना हुआ है। शायद यही वजह है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जांच के लिए बुलाए गए आसाराम को वीआइपी कमरे की तलाश थी। वह एम्स में जांच के बहाने दिल्ली में ठहरने का जुगाड़ लगाने की भी कोशिश करते रहे। यह दीगर बात है कि अस्पताल प्रशासन ने उनकी एक न सुनी। डॉक्टरों ने चार घंटे तक उनकी मेडिकल जांच की। दो से तीन दिन में रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी जाएगी।
आसाराम पहले ट्रेन में सफर करने को भी तैयार नहीं थे। वह सिर्फ हवाई जहाज से चलना चाहते थे। इसके चलते 13 दिसंबर को एम्स में उन्हें जांच के लिए नहीं लाया जा सका। आखिरकार राजस्थान पुलिस उन्हें मंडोर एक्सप्रेस से लेकर बृहस्पतिवार को दिल्ली पहुंची। हालांकि आसाराम ने फस्र्ट क्लास के एसी डिब्बे में ही बैठकर अपना सफर तय किया। उनके साथ पुलिस के 17 जवान भी थे। एम्स में समर्थकों की भारी भीड़ के चलते उन्हें ट्रॉमा सेंटर लाया गया जहां सात डॉक्टरों की टीम ने चार घंटे तक उनकी मेडिकल जांच की।
गौरतलब है कि आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उनको न्यूरो संबंधी बीमारी है। जोधपुर के डॉक्टरों ने उन्हें ट्राइजेमिनल न्यूरोलॉजिया नामक बीमारी बताते हुए सर्जरी कराने की सलाह दी है। इस बीमारी में मुंह व ललाट में दर्द रहता है। 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने एम्स के डॉक्टरों का मेडिकल बोर्ड बनाकर आसाराम की जांच कराने का आदेश दिया था। रात 8.30 बजे पुलिस आसाराम को वापस जोधपुर लेकर चली गई।
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