केजरी को मिला कानून का साथ
भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को लेकर दिल्ली सरकार के अधिकारों पर सवाल उठाने वाली केंद्र सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को लेकर दिल्ली सरकार के अधिकारों पर सवाल उठाने वाली केंद्र सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में दिल्ली पुलिस व उसके सभी अधिकारी एसीबी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और वह उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी की खंडपीठ ने सोमवार को अपने एक अहम फैसले में केंद्र सरकार द्वारा गत 21 मई को एसीबी के अधिकार क्षेत्र को लेकर जारी की गई अधिसूचना को गलत ठहराया है। अधिसूचना को संदिग्ध करार देते हुए कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 एए 3 (ए) में विधानसभा को अधिकार दिया गया है कि समवर्ती सूची के तहत वह कानून बना सकती है।
इस सूची के तहत आने वाले मामलों में उपराज्यपाल को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। इन मामलों में मंत्री समूह की सलाह मानने के लिए उपराज्यपाल बाध्य होते हैं। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार को वह अधिसूचना जारी नहीं करनी चाहिए थी, जिसमें दिल्ली सरकार के (एसीबी पर भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई पर रोक) अधिकारों पर प्रतिबंध करने की बात की गई है।
हवलदार ने दिया था अधिसूचना का हवाला
अदालत एक मई को एसीबी द्वारा सोनिया विहार इलाके में गिरफ्तार दिल्ली पुलिस के हवलदार अनिल कुमार के मामले में सुनवाई कर रही थी। अनिल ने हाई कोर्ट में एसीबी के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए अपनी जमानत अर्जी दाखिल की थी। अदालत ने जमानत अर्जी को खारिज करते हुए उस तर्क को मानने से इन्कार कर दिया, जिसमें अनिल ने केंद्र सरकार की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि पुलिसकर्मी केंद्र सरकार के कर्मचारी है और एसीबी को उसे गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं है।
अधिसूचना पर विचार जरूरी
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आठ नवंबर, 1993 को उपराज्यपाल ने अधिसूचना जारी की थी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एसीबी का अधिकार क्षेत्र पूरी दिल्ली में होगा। यह एक पुलिस स्टेशन है और उसका कार्यालय पुराना सचिवालय होगा।
अदालत ने कहा कि जहां तक एसीबी के अधिकार क्षेत्र पर अंकुश लगाने के गृह मंत्रालय द्वारा 23 जुलाई, 2014 को जारी अधिसूचना का सवाल है, उस पर विचार जरूरी है। अदालत ने कहा कि संवैधानिक योजना के तहत अन्य राज्यों के समान दिल्ली सरकार को भी कार्यकारी अधिकार है। हालांकि उपराज्यपाल अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं।
''गृह मंत्रालय इस मामले में पक्षकार नहीं है। फैसले की कॉपी मिलने के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।''
- गृह मंत्रालय