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'अरुणा दीदीजी के साथ हुए हादसे का पछतावा, माफी चाहता हूं'

मुंबई के एक अस्पताल में करीब 42 साल पहले नर्स अरुणा शानबाग पर घातक हमला करने वाला वार्ड ब्वॉय सोहनलाल बार्था वाल्मीकि मुंह छिपाकर हापुड़ (उप्र) के पारपा गांव में रह रहा है। यहां भी छोटे-मोटे अपराध में वह जेल की हवा खा चुका है। अरुणा का हाल में कोमा

By Sachin kEdited By: Published: Sat, 30 May 2015 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2015 05:36 PM (IST)
'अरुणा दीदीजी के साथ हुए हादसे का पछतावा, माफी चाहता हूं'

जागरण न्यूज नेटवर्क, मेरठ। मुंबई के एक अस्पताल में करीब 42 साल पहले नर्स अरुणा शानबाग पर घातक हमला करने वाला वार्ड ब्वॉय सोहनलाल बार्था वाल्मीकि मीडिया से बचने के लिए भूमिगत हो गया है। शनिवार दोपहर मीडिया कर्मियों के आने की भनक लगते ही वह परिवार समेत भूमिगत हो गया। मीडिया कर्मियों को उसके घर पर ताला लटका मिला। उसके बारे में पूछने पर पड़ोसी भी कुछ नहीं बता सके।

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सोहनलाल बार्था वाल्मीकि मुंह छिपाकर हापुड़ (उप्र) के पारपा गांव में रह रहा है। यहां भी छोटे-मोटे अपराध में वह जेल की हवा खा चुका है। अरुणा का हाल में कोमा की अवस्था में ही निधन हुआ है।

मराठी अखबार साकाल टाइम्स ने सोहनलाल के बारे में खुलासा किया था कि वह हापुड़ की धौलाना तहसील स्थित पारपा गांव में रह रहा है। इसके बाद पारपा में मीडिया का जमावड़ा लग गया। सोहनलाल मूलरूप से गौतमबुद्धनगर के दादूपूर खटाना का है। पता चला है कि भाई से झगड़े के बाद वह सात साल पहले ससुराल पारपा में आकर बस गया। उसकी पत्नी का नाम विमला है।

सोहनलाल के दो बेटियां और दो बेटे हैं। बड़ा बेटा रविंद्र और छोटा बेटा भूरा है। चारों बच्चों की शादियां हो चुकी हैं। सोहनलाल इस समय एनटीपीसी दादरी में मजदूरी करता है। जागरण से बातचीत में सोहनलाल ने कहा कि वह इस मामले में सजा काट चुका है। फिलहाल इस मुद्दे पर उसे कुछ नहीं कहना है।

उधर, मराठी अखबार में खबर प्रकाशित होने के बाद मुंबई पुलिस ने कहा है कि उसके खिलाफ कार्रवाई के बारे में कानूनी राय ली जाएगी। सोहनलाल ने अखबार से कहा कि वह कुछ भी याद नहीं कर सकता कि उस दिन क्या हुआ था। हालांकि उसने कहा कि आप लोग इसे दुष्कर्म क्यों कह रहे हैं।

'सालों तक अपनी पत्नी को भी हाथ नहीं लगाया'

अब सोहनलाल का कहना है, मुझे अरुणा दीदीजी के साथ हुए हादसे का पछतावा है। मैं उनसे और अपने भगवान से माफी मांगना चाहता हूं।

एक चैनल से बातचीत में सोहनलाल ने बताया, उस घटनाक्रम के बाद मैंने मांसाहार खाना बंद कर दिया, बीड़ी-शराब छोड़ दिए। जेल जाने से पहले मेरी एक बेटी थी, जो मर गई। वह मेरी गलती के कारण मरी। मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ तो मैंने सालों तक अपनी बीवी को हाथ नहीं लगाया।

गौरतलब है कि नवंबर 1963 में मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में नर्स अरुणा शानबाग ने सोहनलाल के खिलाफ चोरी की शिकायत की थी। इस पर उसने अरुणा पर हमला किया और लोहे की जंजीर से उनका गला घोंटने की कोशिश की।

इसके बाद उसने अप्राकृतिक दुराचार भी किया। इस हमले के बाद वह कोमा में चली गईं थीं। घटना के बाद ताजिंदगी कोमा में ही रहीं। इस मामले में सजा काटकर सोहनलाल 1980 में मुंबई की जेल से रिहा होकर अपने गांव दादूपुर खटाना आ गया था।
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