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जम्मू में बसती है अनुच्छेद 370 की रूह : महबूबा

विधान परिषद में मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 का मतलब सिर्फ विशेष दर्जा नहीं है। इसकी अपनी सांस्कृतिक पहचान थी

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 08:46 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 10:34 PM (IST)
जम्मू में बसती है अनुच्छेद 370 की रूह : महबूबा
जम्मू में बसती है अनुच्छेद 370 की रूह : महबूबा

रोहित जंडियाल, जम्मू। कई मुद्दों पर अलगाववादियों का समर्थन करने वाली जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सोमवार को उनसे काफी खफा नजर आई। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 की बात करने वाले इसकी गहराई में नहीं जाते। अनुच्छेद 370 की रूह तो सही मायनों में जम्मू में बसती है।

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विधान परिषद में मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 का मतलब सिर्फ विशेष दर्जा नहीं है। इसकी अपनी सांस्कृतिक पहचान थी, जहां मस्जिद में अजान सुनाई देती थी तो मंदिर की घंटियां और गुरुद्वारों में होने वाले शबद कीर्तन सबको बांध कर रखते थे। मगर अब लगता है कि कश्मीर के लोग इसे भूल गए हैं। यह सब तो जम्मू के लोगों ने सही अपनाया है। यहां पर हर धर्म का व्यक्ति कहीं पर भी रह सकता है और कोई भी जम्मूवासी इसका विरोध नहीं करता।

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लाखों की संख्या में घाटी से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों को भी जम्मू के लोगों ने पनाह दी। जम्मू में जब वह अपने निवास पर होती हैं तो साथ में मस्जिद से अजान सुनाई देती है। फिर मंदिर से घंटियों की आवाज आती है। जम्मू के लोगों ने अपनी तहजीब को सही रूप में अपनाया है, मगर कश्मीर कहां चला गया। कश्मीर में जाओ तो वहां के लोगों के चेहरों पर अब पहले जैसी रौनक नजर नहीं आती। एक तनाव है सभी के चेहरों पर। इसे मिलकर ही दूर किया जा सकता है। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उन शब्दों को भी याद किया जब उन्होंने कहा था कि कश्मीर से एक उम्मीद नजर आती है। अब वह कश्मीर कहां गया? कहां गया कश्मीरियों का बड़पन्न।

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आज जब पंडितों की वापसी की बात होती है तो यह कहा जाता है कि इससे डेमोग्राफिक बदलाव आ जाएगा। यह अफगानिस्तान, सीरिया और इराक की संस्कृति हो सकती है, कश्मीर की नहीं। ¨हसा के दौरान भी जब सेना की एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई तो सेना के जवानों को लोगों ने निकाला, हमें उस कश्मीरियत को वापस लाना है। इसका हल सभी को मिलकर ढूंढना है।


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