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उद्योगपतियों का कर्ज उतारने को भूमि अधिग्रहण बिल लाए हैं मोदी: राहुल

दो महीने की छुïट्टी से वापस आए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सार्वजनिक मंच पर आए तो पुराने तेवर के साथ। रविवार को रामलीला मैदान में 'किसान खेत मजदूर रैली' को संबोधित करते हुए उन्होंने मोदी सरकार पर जोरदार हमला किया। उन्होंने भूमि अधिग्रहण को सीधे मोदी से जोड़ दिया और

By manoj yadavEdited By: Published: Sun, 19 Apr 2015 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2015 12:17 AM (IST)
उद्योगपतियों का कर्ज उतारने को भूमि अधिग्रहण बिल लाए हैं मोदी: राहुल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दो महीने की छुïट्टी से वापस आए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सार्वजनिक मंच पर आए तो पुराने तेवर के साथ। रविवार को रामलीला मैदान में 'किसान खेत मजदूर रैली' को संबोधित करते हुए उन्होंने मोदी सरकार पर जोरदार हमला किया। उन्होंने भूमि अधिग्रहण को सीधे मोदी से जोड़ दिया और भरोसा दिलाया कि जहां भी जबरन अधिग्रहण होगा, कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी होगी। उन्होंने कहा कि मोदीजी ने चुनाव में उद्योगपतियों से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। उस पैसे से उनकी मार्केटिंग की गई। अब आपकी जमीन उन उद्योगपतियों को देकर वह कर्ज चुकाएंगे।

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मोदी सरकार को किसान और गरीब विरोधी करार देते हुए चेताया कि वह भूमि अधिग्रहण पर सरकार को आगे नहीं बढऩे देगी। उन्होंने कहा, 'हम यहां इसलिए इकट्ठा हुए हैं ताकि पीएम मोदी को संदेश दे सकें कि अब बहुत हो चुका है। मजदूरों और किसानों को हम नजरअंदाज नहीं होने देंगे।' किसानों की भीड़ से उत्साहित सोनिया ने कहा कि आपकी उपस्थिति से हमें हौसला मिला है। पंजाब, राजस्थान और हरियाणा समेत छह राज्यों से जुटाई गई भीड़ सामने थी तो मंच पर कांग्रेस के वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय पदाधिकारी भी मौजूद थे।

मोदी के मॉडल पर सवाल

राहुल ने कहा कि मोदी का मॉडल यह है कि पहले बिल्डिंग की नींव खोखली करो। इसके बाद बिल्ंिडग से सीढ़ी लगाओ और उसे पेंट से चमकाओ। फिर दुनिया को दिखाओ कि बिल्डिंग चमक रही है, जबकि असल में वह खोखली हो चुकी है। राहुल ने कहा कि सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम से रोजगार पैदा होने की कोई संभावना नहीं है।

ऑस्ट्रेलिया का दिया उदाहरण

अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा में हीरा खदान के अवलोकन का उदाहरण देकर राहुल ने कहा कि जिस जमीन पर खदान थी वह किसानों की थी। वहां की सरकार ने किसानों से जमीन लेकर खनन शुरू कराया। मैंने जब पूछा कि वे किसान कहां हैं, तो बताया गया कि वहीं फैक्टरी में मजदूरी कर रहे हैं। जमीन जाने पर किसान भूमि व आजीविका दोनों से दूर हो जाते हैं।

इन बदलावों पर घेरा

-राहुल ने कहा कि संप्रग के भूमि अधिग्रहण कानून में पांच साल में जमीन का उपयोग नहीं होने पर उसे लौटाने का प्रावधान था। मोदी सरकार ने इसे क्यों हटाया?

-अधिग्रहण के लिए 70 फीसद किसानों की सहमति जरूरी थी, इसे खत्म करने की क्या जरूरत थी?

-संप्रग सरकार के कानून में सामाजिक प्रभाव के अध्ययन का प्रावधान किया गया था, उसे खत्म क्यों किया गया?

क्यों अहम थी रैली

लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त और संसद में उपस्थिति दर्ज कराने में अब तक विफल रहे राहुल गांधी को नए सिरे से पेश करने के लिए इस रैली को अहम माना जा रहा था। शायद यही कारण है कि कांग्र्रेस के रणनीतिकारों ने मौसम की मार से बेहाल किसानों को भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ एकजुट कर राहुल गांधी की दमदार उपस्थिति दर्ज कराने का फैसला किया।

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