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गंगा को बचाने के लिए सेना भी तैयार

नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से गंगा को बचाने और साफ करने को लेकर शुरू हुए महाअभियान में अब भारतीय सेना भी शिरकत करना चाहती है। सेना मुख्यालय ने इस बाबत सरकार को एक प्रस्ताव दिया है। इसके तहत गंगा रक्षा मिशन में सैन्य अनुशासन व पर्यावरण संरक्षण में उसके अनुभवों के इस्तेमाल को लेकर पेशकश की गई है। यह प्रस्

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 08:03 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 08:03 AM (IST)
गंगा को बचाने के लिए सेना भी तैयार

प्रणय उपाध्याय, नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से गंगा को बचाने और साफ करने को लेकर शुरू हुए महाअभियान में अब भारतीय सेना भी शिरकत करना चाहती है। सेना मुख्यालय ने इस बाबत सरकार को एक प्रस्ताव दिया है। इसके तहत गंगा रक्षा मिशन में सैन्य अनुशासन व पर्यावरण संरक्षण में उसके अनुभवों के इस्तेमाल को लेकर पेशकश की गई है। यह प्रस्ताव एक ऐसे समय आया है, जब गंगा को निर्मल-अविरल बनाने के लिए दैनिक जागरण की ओर से छेड़ा गया अभियान समापन की ओर बढ़ रहा था। इसके तहत गंगा जागरण यात्रा ने देवप्रयाग से लेकर गंगा सागर तक करीब तीन हजार किलोमीटर का सफर तय किया है। 28 जून को शुरू हुई यह यात्रा 24 शहरों से गुजरते हुए सोमवार को गंगासागर पहुंची।

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हाल ही में सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में सेना ने गंगा के लिए एक विशेष टास्कफोर्स गठित करने की पेशकश की है। इसमें एक लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारी समेत 44 अफसरों का ढांचा प्रस्तावित है। इसके अंतर्गत सेवानिवृत्त फौजियों की सेवाओं का इस्तेमाल भी किया जाना है। महत्वपूर्ण है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सेना ने कई राज्यों में ईको-टास्कफोर्स गठित की है। रक्षा मंत्रालय ने 1982 से पर्यावरण संरक्षण के लिए ईको-टास्कफोर्स की परंपरा शुरू की थी।

सेना के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, गंगा की सफाई व संरक्षण एक राष्ट्रीय मिशन है। लिहाजा, सेना को भी इससे जुड़ने का मौका मिल सके तो वह भी अहम योगदान दे सकती है। इसके लिए पूर्व सैनिकों के अनुशासित व अनुभवी कार्यबल का भी इस्तेमाल हो सकेगा। हालांकि सेना की ओर से भेजे गए इस प्रस्ताव पर सरकार की ओर से अभी कोई जवाब नहीं आया है।

गौरतलब है कि टेरिटोरियल आर्मी के तहत काम कर रही ईको-टास्कफोर्स की बटालियनें जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान समेत कई राज्यों में पर्यावरण संरक्षण के मिशन पर काम कर रही हैं। राष्ट््रीय राजधानी दिल्ली के करीब अरावली पहाड़ियों में अवैध खनन से हुए पर्यावरण नुकसान की भरपाई का काम भी सेना की ईको-टास्कफोर्स को सौंपा गया था।

राजधानी दिल्ली के रिज क्षेत्र में भंट्टी खदानों में करीब 2100 एकड़ क्षेत्र में सेना की 132 इंफेंट्री बटालियन ईको राजपूत टास्कफोर्स को इलाके में अवैध खनन रोकने व हरियाली को सहेजने के लिए उतारा गया। इसके बाद बीते एक दशक में ईको टास्कफोर्स ने बड़े इलाके में हरियाली को लौटाने में कामयाबी पाई।

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