सेना के डॉक्टरों ने भी मांगा 65 में रिटायरमेंट
लेकिन सेना की मेडिकल कोर जैसे आर्मी मेडिकल कार्प्स और आर्मी डेंटल कार्प्स इसमें शामिल नहीं है।
नई दिल्ली। सेना के डॉक्टरों ने बराबरी के हक की दुहाई देते हुए सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष से बढ़ा कर 65 वर्ष किए जाने की मांग की है। कर्नल रैंक के आठ डॉक्टरों ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट डॉक्टरों की इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में ही डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने की घोषणा की थी। इसके बाद अलग-अलग विभागों ने इसे लागू करने के लिए आदेश भी जारी कर दिया है। सेना के आठ डॉक्टरों ने गत 13 मई की अधिसूचना के दायरे में उन्हें भी लाने की गुहार लगाई है।
गुरुवार को डॉक्टरों के वकील ने न्यायमूर्ति एआर दवे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ से शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता 31 जुलाई को 58 वर्ष के होने के कारण रिटायर हो जाएंगे। उनका अनुरोध स्वीकार करते हुए पीठ ने याचिका को शुक्रवार को सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष करने की अधिसूचना जारी की गई है। कहा गया है कि इस अधिसूचना में सीआरपीएफ, सीआइएसएफ, आइटीबीपी, एनएसजी और असम राइफल्स आदि भी शामिल हैं।
लेकिन सेना की मेडिकल कोर जैसे आर्मी मेडिकल कार्प्स और आर्मी डेंटल कार्प्स इसमें शामिल नहीं है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें इसका लाभ न मिलना उनके साथ भेदभाव है। यह उन्हें संविधान से मिले नौकरी में बराबरी के मौके के अधिकार का उल्लंघन है।
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