'हनी ट्रैप' मामला: जवानों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के सीक्रेट मिशन 'हनी ट्रैप' ने भारतीय सेना को हिलाकर रख दिया है। सुनीत कुमार के बाद मनोहर सिंह की पहचान जवान के रूप में होने पर सेना के अधिकारियों के कान खड़े हो गए हैं। हालात को देखते हुए ही गुरुवार को उत्तर भारत सैन्य क्षेत्र ने एक बार फिर जवानों को सोशल मीडिया से दूर रहने
बरेली [साजिद रजा खां]। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के सीक्रेट मिशन 'हनी ट्रैप' ने भारतीय सेना को हिलाकर रख दिया है। सुनीत कुमार के बाद मनोहर सिंह की पहचान जवान के रूप में होने पर सेना के अधिकारियों के कान खड़े हो गए हैं। हालात को देखते हुए ही गुरुवार को उत्तर भारत सैन्य क्षेत्र ने एक बार फिर जवानों को सोशल मीडिया से दूर रहने की हिदायत दी।
सेना के मेरठ सैन्य क्षेत्र में तैनात सुनीत कुमार फेसबुक के माध्यम से आइएसआइ एजेंट पूनम प्रकाश और रिया के संपर्क में आया। इसके बाद वह सेना की जरूरी सूचनाएं लीक करने लगा। लालच के भंवर में ऐसा फंसा, आतंकी संगठनों के करीब भी पहुंच गया। सुनीत के बाद अब मनोहर सिंह के बारे में भी कुछ ऐसे ही सुराग हाथ लगे हैं। वह भी आइएसआइ के 'हनी ट्रैप' के जरिये पाकिस्तानी एजेंट के संपर्क में आया।
ऐसे कुछ और जवानों के नाम भी सामने आ रहे हैं, जो सोशल साइट्स पर जाने-अनजाने 'हनी ट्रैप' का शिकार बन गए हैं। अलबत्ता, बरेली निवासी मनोहर की पहचान होने के बाद सेना के उत्तर भारत क्षेत्र ने गुरुवार को सख्त फैसला लिया। सेना सूत्रों के मुताबिक, अफसरों और जवानों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल पूरी तरह पाबंद कर दिया गया है।
ठिकाने बदलकर चकमा देता रहा मनोहर
बरेली। सेना का जवान और आइएसआइ एजेंट मनोहर सिंह काफी शातिर किस्म का है। बरेली में वह ठिकाने बदल-बदलकर किराए के मकानों में रहता था। अति सुरक्षित वीआइपी इलाकों को वह अपना अड्डा खासतौर से बनाता था। गुरुवार को भी आर्मी इंटेलीजेंस समेत तमाम एजेंसियां मनोहर के बारे में सुराग लगाने में जुटी मगर कोई ठोस कामयाबी नहीं मिली। उसका परिवार भी अंडरग्राउंड हो गया है।
अलबत्ता, एसटीएफ के हत्थे मनोहर का एक रिश्तेदार जरूर लगा है, जो कि उत्तराखंड के खटीमा का रहने वाला है। गुरुवार को शहर में गुप्त छापेमारी की गई। एसटीएफ व आर्मी इंटेलीजेंस ने सोशल नेटवर्किग साइट्स फेसबुक, ट्विटर अकाउंट आदि को भी खंगालने का काम शुरू कर दिया है।
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