दुष्कर्म के मामले में मध्यस्थता का प्रयास अवैधः सुप्रीम कोर्ट
रेप के एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़िता और अपराधकर्ता के बीच मध्यस्थता का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अनुचित और अवैध है। कोर्ट इस तरह के मामले में दोनों के बीच शादी कराने को लेकर मध्यस्ता जैसा कमजोर स्टैंड नहीं ले
नई दिल्ली। रेप के एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़िता और अपराधकर्ता के बीच मध्यस्थता का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अनुचित और अवैध है। कोर्ट इस तरह के मामले में दोनों के बीच शादी कराने को लेकर मध्यस्ता जैसा कमजोर स्टैंड नहीं ले सकता। इस तरह का कोई प्रयास महिला की गरिमा से समझौता माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की मध्यस्थता को बढ़ावा देने संबंधी कोर्ट के फैसले को भयंकर भूल करार दिया है।
रेप के मामलों में मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यह अहम फैसला सुनाया। रेप के मामलों में मध्यस्थता को अवैध करार देते हुए मध्य प्रदेश सरकार की ओर से रेप के एक मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया।
इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में अनूठा फैसला सुनाया था। जज ने आरोपी को जमानत दी ताकि वह पीड़िता के साथ समझौते की प्रक्रिया में शामिल हो सके। साथ ही जस्टिस डी. देवदास ने आरोपी से कहा है कि वह पीड़िता के नाम पर 1 लाख रुपए की एफडी भी करवाए। पीड़िता के माता-पिता का निधन हो चुका है और वह रेप के बाद जन्में बच्चे की मां है। निचली अदालत ने 2002 में आरोपी को सात साल की कैद और दो लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
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