अनुपम खेर की अगुवाई में निकली असहिष्णुता के विरोध में मार्च
देश में असहिष्णुता के नाम पर पुरस्कार वापसी की होड़ के खिलाफ कला और साहित्य जगत से ही आवाज उठी।
नई दिल्ली। देश में असहिष्णुता के नाम पर पुरस्कार वापसी की होड़ के खिलाफ कला और साहित्य जगत से ही आवाज उठी। पुरस्कार वापस कर रहे साहित्यकारों, लेखकों और फिल्म जगत की हस्तियों के विरोध में शनिवार को इंडिया गेट पर मार्च फॉर इंडिया निकाला गया।
पुरस्कार वापसी को एक चुनी हुई सरकार के खिलाफ अभियान बताते हुए इन्होंने इसे देश की छवि खराब करने वाला करार दिया। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर के नेतृत्व में निकाले गए इस मार्च में सिने जगत, साहित्य व संगीत जगत के जानेमाने चेहरे आम लोगों के बीच नजर आए। इन सभी ने एक स्वर में पुरस्कार वापस करने वालों को आड़े हाथों लिया।
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अनुपम खेर ने इस मौके पर कहा कि हम उन लोगों का धन्यवाद करते है जिनके पुरस्कार वापस करने के चलते हमें एकजुट होने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि देशभर में इस मार्च के जरिए हम अपनी एकता का प्रदर्शन करने में कामयाब रहे है और इससे उन लोगों को करारा जवाब मिला है जो देश में असहिष्णुता का झूठा प्रचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि मैं सत्तारूढ़ दल के कहने पर ऐसा कर रहा हूं लेकिन सच तो ये है कि मैं उस देश के लिए यहां हूं जिससे मेरी रोजी रोटी जुड़ी है। राजपथ पर राष्ट्रीय संग्रहालय के पास से राष्ट्रपति भवन तक मार्च के बाद अनुपम खेर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मुलाकात करने पहुंचा और उनके समक्ष अपनी बात रखी।
प्रधानमंत्री मोदी से मिले अनुपम खेर
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद अनुपम खेर कलाकारों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिले । खेर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन सभी की बातें सुनी और पीएम ने कहा कि असहिष्णुता का मुद्दा देश की छवि और को नुकसान पहुंचा रहा है।
देश में असहिष्णुता के नाम पर सम्मान वापसी से नाराज अभिनेता अनुपम खेर करीब साढ़े दस बजे आयोजन स्थल पर पहुंचे। मार्च से पहले उन्होंने कहा कि पुरस्कार वापसी के नाम पर देश की छवि खराब करने के लिए की जा रही साजिश को सफल नहीं होने देंगे। भारत एक सहनशील देश है, लेकिन इसे तोडऩे की कोशिश की जा रही है। जबकि भारत ऐसा देश है जहां पासपोर्ट पर किसी व्यक्ति की जाति, धर्म के बजाय सिर्फ इंडियन लिखा होता है।
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पुरस्कार वापसी के विरोध और सहिष्णुता के समर्थन में राष्ट्रपति भवन तक मार्च में मधुर भंडारकर, प्रियदर्शन, गायक अभिजीत, मालिनी अवस्थी, साहित्यकार नरेंद्र कोहली, दयाप्रकाश सिंह, राजा बुंदेला समेत कई बड़े नामों ने शिरकत की। इसके साथ बड़ी संख्या में आम लोग भी पहुंचे जो सरकार के समर्थन में नारे लगा रहे थे। भारी भीड़ को देखते हुए इंडिया गेट लॉन से इसकी जगह बदल कर नेशनल म्यूजियम कर दिया गया था। मार्च में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की दिखी। वह बैनर पोस्टर के जरिए पुरस्कार वापसी करने वाले साहित्यकारों की आलोचना के साथ इससे पहले हुए सिख दंगों, मुजफ्फरपुर दंगों समेत अन्य हालात की याद दिला रहे थे।
उधर, पुरस्कार वापसी के विरोध और सहिष्णु के समर्थन में हुए इस मार्च को लेकर मशहूर डायरेक्टर एंड सिनेमेटोग्राफी आनंद पटवर्धन ने कहा कि जिस तरह अनुपम खेर ये मार्च निकालने के लिए स्वतंत्र है वैसे हमलोग भी अपना अवॉर्ड लौटाने के लिए स्वतंत्र है, क्योंकि यह एक लोकतंत्र है।