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अलगाववाद को शह देने के लिए कश्मीर में शुरू हुई रेडियो सेवा

आतंकी और अलगाववादी संगठनों ने देश विरोधी प्रचार के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ाते हुए अब अपने सदा-ए-हुर्रियत-जम्मू कश्मीर का प्रसारण शुरू किया है। गुलाम कश्मीर से संचालित होने वाला यह रेडिया 1990 के दशक में कश्मीर घाटी के अलावा राज्य के सीमावर्ती इलाकों में आतंकियों की सुरक्षाबलों के

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 12:11 AM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 12:16 AM (IST)
अलगाववाद को शह देने के लिए कश्मीर में शुरू हुई रेडियो सेवा

श्रीनगर। आतंकी और अलगाववादी संगठनों ने देश विरोधी प्रचार के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ाते हुए अब अपने सदा-ए-हुर्रियत-जम्मू कश्मीर का प्रसारण शुरू किया है। गुलाम कश्मीर से संचालित होने वाला यह रेडिया 1990 के दशक में कश्मीर घाटी के अलावा राज्य के सीमावर्ती इलाकों में आतंकियों की सुरक्षाबलों के खिलाफ कार्रवाईयों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के अलावा मानवाधिकार हनन की झूठी घटनाओं को भी खूब उछालता था।

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तब केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में अपने रेडियो सिग्नल को मजबूत बनाकर सदा-ए-हुर्रियत रेडियो की पहुंच पर किसी हद तक काबू पा लिया था। पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से चलने वाले इस रेडियो की कमान गत दो दशकों से हिजबुल मुजाहिदीन ने संभाल रखी थी।

सदा-ए-हुर्रियत-जम्मू कश्मीर रेडियो को इंटरनेट पर भी प्रसारित करने की जानकारी भी सबसे पहले हिज्ब द्वारा संचालित की जाने वाली इंटरनेट साइट कश्मीर मीडिया सर्विस पर ही प्रकाशित हुई। इस साईट को रईस अहमद नामक एक पूर्व हिज्ब कमांडर संचालित करता है।

कश्मीर मीडिया सर्विस के मुताबिक, इंटरेनट पर रेडियो सदा-ए-हुर्रियत कश्मीर अब चौबीस घंटे उपलब्ध रहेगा। इसका प्रसारण हिंदी, उर्दू, पहाड़ी, कश्मीरी और गोजरी में होगा। सदा-ए-हुर्रियत रेडियो का इतिहास लगभग 50 साल पुराना है। सितंबर 1965 में जम्मू कश्मीर में घुसपैठियों को धकेलने से पहले पाकिस्तान ने यह रेडियो शुरू किया गया था और इसका नाम रेडियो-सदा-ए-कश्मीर रखा गया था। इस पर भारत विरोधी सामग्री का ही प्रसार होता था।

बाद में यह रेडियो सेवा लगभग निष्क्रिय हो गई थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद शुरू होने के साथ ही यह रेडियो दोबारा सक्रिय हो गया और इसका नाम रेडियो सदा-ए-हुर्रियत जम्मू-कश्मीर हो गया। कश्मीर की सियासत पर नजर रखने वालों के मुताबिक सदा-ए-हुर्रियत रेडियो का प्रसारण इंटरनेट पर शुरू किया जाना कोई सामान्य बात नहीं है। यह सेवा हाल ही में पाकिस्तान के साथ रद हुई एनएसए स्तर की वार्ता के बाद इंटरनेट पर शुरू की जा रही है।


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