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INS विराट को पर्यटकों के आकर्षण स्थल के रुप में किया जा सकता है परिवर्तित

आंध्र सरकार ने अपनी सेवा पूरी कर चुके विमानवाहक आईएनएस विराट को एक पर्यटन आकर्षण के रुप में परिवर्तित करने की उम्मीद जताई है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 14 Jul 2017 01:20 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jul 2017 01:44 PM (IST)
INS विराट को पर्यटकों के आकर्षण स्थल के रुप में किया जा सकता है परिवर्तित
INS विराट को पर्यटकों के आकर्षण स्थल के रुप में किया जा सकता है परिवर्तित

मुंबई (आइएएनएस)। आंध्र प्रदेश ने हाल ही में अपनी सेवा पूरी कर चुके विमानवाहक आईएनएस विराट को "समर्पित पर्यटन आकर्षण" में परिवर्तित करने की उम्मीद जताई है। आंध्र सरकार ने शुक्रवार को इसके लिए विस्तृत लागत अनुमान संबंधित एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए सलाहकार नियुक्त करने की निविदा नोटिस जारी की। रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आखिरी तारीख 26 जुलाई है।

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मालूम हो कि, इसी साल 6 मार्च को औपचारिक रूप से मुंबई में आईएनएस विराट को सेवानिवृत्त कर दिया गया था। यह लगभग 28,500 टन का था जो समुद्री जेट, लड़ाकू विमान, और लगभग सभी तरह के नौसेना हेलीकॉप्टर संचालित करने में सक्षम था। जहाज की सबसे बड़ी विशेषता इसकी12 डिग्री रैंप थी जो सुरक्षा की दृष्टि से और पेलोड क्षमता को बढ़ाने में काफी मददगार थे। सेवा से मुक्त होने के बाद भी इसकी स्थिति अच्छी बताई गई थी, और भारतीय नौसेना को इसके रखरखाव की जिम्मेदारी दी गई थी।  

अधिकारियों ने कहा कि हालांकि जहाज़ मुंबई में है लेकिन इसके अन्य उपयोगिता से जुड़े सभी निर्णय केवल रक्षा मंत्रालय द्वारा ही लिए जाएंगे। 1944 में इसकी नींव रखी गई थी, 1953 में लांच किया गया और उन्हें 18 नवंबर 1959 को एचएमएस हेर्मिस के रूप में रॉयल नेवी के द्वारा कार्य में लाया गया। 12 मई 1987 को, इसे भारतीय नौसेना के श्वेत अभिलेख के तहत इसका नामकरण किया गया। शुरूआत में इसने दक्षिण अटलांटिक टास्क के प्रमुख के रूप में कार्य किया। 

ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स, ब्रिटिश सिंहासन के उत्तराधिकारी, ने एक बार एचएमएस हेर्मिस पर काम किया था, जिसने अधिकारियों और नाविकों के लिए बोर्ड पर सबसे आधुनिक और पेचीदा सुविधाओं का स्वागत किया था। बता दें कि, इससे पहले भारत के पहले प्रतिष्ठित विमान वाहक, आईएनएस विक्रांत लगभग 17 वर्षों तक बिना किसी खरीददार के कारण जिसका रखरखाव मुश्किल हो गया था। अंत में 2014 में मुंबई के एक शिप ब्रेकर के हाथ इसे धातु स्क्रैप के रूप में बेच दिया गया था।

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