एक ईजाद जो बदल सकती है देश की ऊर्जा तस्वीर
स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने एक नई खोज की है जिसके जरिए ना सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया की तस्वीर बदल सकती है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ऐसे समय जब पूरी दुनिया में स्वच्छ ऊर्जा बनाने के नए नए तकनीकों पर काफी काम हो रहा है, एक भारतीय की इस दिशा में नई खोज न सिर्फ अपने देश की बल्कि पूरी दुनिया की ऊर्जा तस्वीर को बदल सकती है। यह तकनीकी गुरुत्वाकर्षण बल पर आधारित है और इसके जरिए बहुत ही कम लागत में नदी जल से बिजली बनाई जा सकती है। मौजूदा हाइड्रो परियोजनाओं की तरह इसके लिए बड़े बड़े डैम बनाने की जरुरत नहीं है और न ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचने का खतरा है। इस तकनीकी का इस्तेमाल जहां से नदी का उद्गम है और जहां वह समुद्र में मिलती है, उस पूरे मार्ग पर जगह जगह किया जा सकता है और बिजली बनाई जा सकती है।
इस तकनीकी का ईजाद किया है कि दिल्ली में बदरपुर के पास छोटे से लालकुआं गांव के सुरेंद्र यादव। यादव का कहना है कि पिछले डेढ़ दशक से इस तकनीक पर काम कर रहे हैैं। अब जा कर उन्हें अपनी तकनीकी पर पूरा भरोसा हो गया है कि यह दुनिया में स्वच्छ ऊर्जा से जुड़े तमाम सवालों का जबाव है। वह इसका पेटेंट नहीं करवाना चाहते बल्कि जो भी कंपनी चाहे वह देशी हो या विदेशी, सरकारी हो या निजी उसे यह तकनीकी मुफ्त में देना चाहते हैैं ताकि पूरी दुनिया को साफ सुथरी पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उपलब्ध हो सके।
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कैसे काम करेगी यह तकनीकी -
गुरुत्वाकर्षण बल से बिजली बनाने के अपने सिद्धांत के बारे में यादव बताते हैैं कि जितना भार गुरुत्वाकर्षण बल से नीचे की तरफ आता है उसे ऊपर पहुंचाने में पचास गुणा ज्यादा भार प्राकृतिक तौर पर लगता है। तो इस आधार पर इनका कहना है कि नदी जल को ही भार के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। पानी को बड़े टैैंक में भर कर उससे इच्छानुसार भार बनाया जा सकता है। यह भार दबाव डाल कर टरबाइन को चलाएगा। भार नीचे की तरफ आएगा तो उससे अल्टरनेटर को जोड़ कर बिजली पैदा की जा सकती है। इसके लिए नदी जल को बस बीस मीटर एक चेन या पुली के जरिए नीचे लाने की जरुरत होगी। पानी के वजन से भार नीचे लाने के लिए चेन या पुली लगी होगी। इससे जुड़ा एक टरबाइन होगा जो भार के ऊपर-नीचे होने से बिजली बनाएगी। इसके लिए महज 20 मीटर ऊपर से पानी का भार नीचे डालने की जरुरत होगी।
यादव का दावा है कि सिर्फ 50 मीटर की लंबाई में 100 चेन या पुली लगा कर एक मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है। एक किलोमीटर की लंबाई में 100 चेन या पुली लगा कर 20 मेगावाट की बिजली पैदा की जा सकती है। इससे नदी की जल धारा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पानी को बड़े टैैंक में भर कर उससे इच्छानुसार भार बनाया जा सकता है। इस तरह के टरबाईन देश के किसी भी नदी के धारा के साथ लंबी दूरी तक लगाये जा सकते हैैं। इसकी लागत के बारे में यादव का कहना है कि एक टरबाइन पर 10 से 20 लाख रुपये की लागत आएगी। यादव ने अप्रैल में ही इस तकनीकी का खुलासा किया है। अब इसके बारे में वह देश व विदेशी एजेंसियों को सूचना दे रहे हैैं।