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महानायक अमिताभ ने 'दयावान' विनोद खन्ना को कुछ ऐसे किया याद

बिग-बी अपने ब्लॉग में लिखते हैं, 'मैंने पहली बार उन्हें बांद्रा स्थित सुनील दत्त के अजंता आर्ट्स के दफ्तर में देखा था। मैं वहां अपने लिए काम की तलाश में गया था।

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 28 Apr 2017 02:56 PM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 03:54 PM (IST)
महानायक अमिताभ ने 'दयावान' विनोद खन्ना को कुछ ऐसे किया याद
महानायक अमिताभ ने 'दयावान' विनोद खन्ना को कुछ ऐसे किया याद

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। महानायक अमिताभ बच्चन और दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना ने 'अमर अकबर एंथनी', 'हेरा फेरी', 'रेशमा और शेरा' जैसी कई फिल्मों में एक साथ काम किया। बॉलीवुड के सबसे खूबसूरत अभिनेताओं में से एक विनोद खन्ना का गुरुवार को निधन होने के बाद अमिताभ बच्चन ने उनसे जुड़ी अपनी यादों को एक ब्लॉग के जरिए साझा किया है।

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बिग-बी अपने ब्लॉग में लिखते हैं, 'मैंने पहली बार उन्हें बांद्रा स्थित सुनील दत्त के अजंता आर्ट्स के दफ्तर में देखा था। मैं वहां अपने लिए काम की तलाश में गया था। बेहद खूबसूरत हैंडसम नौजवान... सुंदर ढांचे में पिरोया गया शरीर... उनकी चाल में लचक थी और जब उन्होंने मेरी तरफ देखा तो उनके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी। वह 1969 का साल था। वह अजंता आर्ट्स की फिल्म 'मन का मीत' में काम कर रहे थे। मैं किसी भी तरह के एक रोल के लिए स्ट्रगल कर रहा था।'

वे आगे लिखते हैं, 'कुछ ही दिनों में हम फिर उसी परिसर में मिले।' अमिताभ बताते हैं कि बाद में उन्होंने दत्त साहब की फिल्म 'रेशमा और शेरा' में एक साथ काम किया। वे बताते हैं कि थापा साहेब, अली राजा, सुखदेव उस दौरान सभी लोग उनके साथ काफी नम्रता से पेश आते थे और उन्हीं लोगों से बिग-बी ने फिल्म इंडस्ट्री के बारे में शुरुआती जानकारी ली थी कि यह इंडस्ट्री कैसे काम करती है।

जैसलमेर में शूटिंग के वो दिन...

अमिताभ बच्चन याद करते हैं कि कैसे फिल्म 'रेशमा और शेरा' की शूटिंग के दौरान करीब एक महीने तक तपती गर्मी के बीच वह जैसलमेर में उस जगह विनोद खन्ना के साथ रहे, जहां दूर-दूर तक इंसान का नामो निशान नहीं था। बिग-बी बताते हैं कि वह विनोद खन्ना, रंजीत, थापा साहेब और अली राजा साहेब के साथ एक ही टेंट में रहते थे। जैसलमेर शहर में भी यह सब लोग एक कमरे में थे और बाद में अमरीश पुरी भी उसी कमरे में रहने आ गए थे। महानायक अपने इस ब्लॉग में हंसी-ठिठोली, काम और लापरवाही के उन दिनों को याद करते हैं।

बिग-बी अपने इस ब्लॉग में बताते हैं कि शूटिंग से लौटने के बाद भी विनोद खन्ना ने उनके साथ संपर्क बनाए रखा। वह बताते हैं, 'उस समय विनोद खन्ना बड़े सितारे थे, लेकिन हमेशा विनम्र और निस्वार्थ दूसरों के लिए चिंता करते थे।' अमिताभ, विनोद खन्ना की उस येलो रंग की बीटल फॉक्सवैगन कार को भी याद करते हैं और यह भी कि कैसे वह उन्हें होटल ताज स्थित शहर के एकमात्र डिस्को क्लब में ले गए थे। वह याद करते हैं कि विनोद खन्ना की पत्नी गीतांजलि को वह सब गित्ली कह कर पुकारते थे। अमिताभ उनके दोनों बेटों राहुल और अक्षय के जन्म के समय को भी याद करते हुए पुरानी यादों में खो जाते हैं।

...जब रेस्त्रां में एक से भिड़ गए थे विनोद खन्ना

अमिताभ याद करते हैं कि कैसे सोबो रेस्त्रां में किसी ने एक गलत टिप्पणी कर दी थी तो विनोद खन्ना उससे भिड़ पड़े थे। उनके बाजू पर चाकू लग गया था, लेकिन उन्होंने जीत दर्ज की।

बिग याद करते हैं कि फिल्म 'रेशमा और शेरा' के बाद विनोद खन्ना के पिता के अचानक निधन के बाद दुख की उस घड़ी में उनके साथ थे। बाद में दोनों ने कई फिल्मों में एक साथ काम किया। वे याद करते हैं कि कैसे वे दोनों मेकअप रूम में समय बिताते थे। लंच साथ करते थे और हर तरह की बात करते थे। देर रात तक शूटिंग, जुहू बीच पर जाना और वहां अपनी-अपनी ड्रिंक लेना सब कुछ बिग बी ने इस ब्लॉग में याद किया।

जब गलती से उन्हें गिलास लग गया

अमिताभ उस एक्सीडेंट को भी याद करते हैं, जब एक सीन में उन्होंने विनोद खन्ना की तरफ गिलास फेंका। वह गिलास गलती से विनोद खन्ना की ठोडी पर लग गया और वहां कट गया। उस न भुलाने वाली दुर्घटना को याद करते हुए वह बताते हैं, 'इसके बाद जल्दी से देर रात उन्हें उनके डॉक्टर के पास ले गया, टांके लगवाए, उन्हें उनके घर लेकर गया, उनके घर तक पहुंचाने के दौरान भी बार-बार माफी मांगता रहा।'

अमिताभ अपनी फिल्म 'जमीर' में विनोद खन्ना के गेस्ट अपीयरेंस को भी याद करते हैं। इससे आगे बिग बी विनोद खन्ना के अचानक फिल्म इंडस्ट्री छोड़कर रजनीश को फॉलो करने के निर्णय को भी याद करते हैं। उन्होंने कहा, 'इस दौरान लॉस एंजलिस में मैंने उनसे मुलाकात की, उन्होंने एक दोस्त के घर पर घंटों बिताए और मुझे बताया कि जिस मूवमेंट से वे जुड़े हैं वह दुनिया के लिए क्यों जरूरी है।'

'...और आज दोपहर को 48 साल का यह साथ छूट गया...'

'जिस तरह के रास्ते पर वह चले वैसा कोई नहीं कर सकता। प्रशंसकों से भरे एक कमरे में जैसी उनकी उपस्थिति होती थी, वैसी किसी की नहीं हो सकती। उनकी तरह कोई भी उस अंदाज में माहौल को चौंधिया नहीं सकता। उनकी तरह कोई नहीं हो सकता...'

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