चौके के बाद छक्के की तैयारी में शाह
भाजपा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में जाने से पहले अमित शाह सौ फीसद प्रदर्शन का आंकड़ा हासिल कर लेना चाहते हैं। अगले कुछ महीनों में ही संभावित दिल्ली और साल के अंत तक बिहार विधानसभा चुनाव को हर कीमत पर जीतने का कार्यकर्ताओं और नेताओं को स्पष्ट संकेत दे
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में जाने से पहले अमित शाह सौ फीसद प्रदर्शन का आंकड़ा हासिल कर लेना चाहते हैं। अगले कुछ महीनों में ही संभावित दिल्ली और साल के अंत तक बिहार विधानसभा चुनाव को हर कीमत पर जीतने का कार्यकर्ताओं और नेताओं को स्पष्ट संकेत दे दिया गया है। खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अब राज्यों को भी छानेंगे। फरवरी के उत्तरार्द्ध तक वह लगभग एक दर्जन से ज्यादा राज्यों का दौरा पूरा कर लेंगे।
महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर की बड़ी जीत के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष ने खुद को चुनावी गणित का भी शाह साबित कर दिया है। ये सभी वे राज्य हैं जहां भाजपा ने या तो पहली बार बहुमत की सरकार बनाई है या फिर बनाने वाली है। भविष्य की चुनौती लेकिन और भी ज्यादा मायने रखती है। दरअसल, पिछले राज्यों की तुलना में दिल्ली ऐसा पहला राज्य हो सकता है जहां लड़ाई सीधी होने की संभावना है। मतों का बिखराव संभवत: बहुत कम हो। वहीं अक्टूबर तक चुनाव में जाने वाले बिहार में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल सकता है जहां लड़ाई दो खेमों के बीच होगी। इन दोनों राज्यों में जीत का संकेत व संदेश भी भिन्न होगा। जाहिर है कि शाह जनवरी-फरवरी 2016 तक संभावित भाजपा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में जाने से पहले इन दो राज्यों को फतह कर सिक्सर लगाना चाहेंगे। हालांकि वह पहले ही सबसे सफल भाजपा अध्यक्ष बन चुके हैं।
बताते हैं कि दोनों राज्यों के नेताओं व कार्यकर्ताओं स्पष्ट कर दिया गया है कि मैदान व रणनीति में कोई खामी न रहे। शाह का माइक्रो मैनेजमेंट तो होगा ही स्थानीय स्तर पर सामंजस्य में कोई कमी न हो। नेतृत्व को लेकर अभी से संदेश दिया जा चुका है कि न तो बयानबाजी हो और न ही एक दूसरे से आगे बढ़कर दिखने की होड़। चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा।
यूं तो शाह ने राज्यों का दौरा शुरू कर दिया है, इस माह के आखिरी सप्ताह से सघन दौरा शुरू होगा। संभवत: 22 जनवरी से 15 फरवरी तक नौ राज्यों का दौरा करेंगे। इसमें वे राज्य शामिल होंगे जहां भाजपा की सरकार नहीं है। पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान यूं तो हर राज्य में कार्यकर्ताओं को खड़ा किया जा चुका है लेकिन संगठन अभी जीवित नहीं हुआ है। ऐसे में शाह का हालिया दौरा उनके दूसरे कार्यकाल में जीत का प्रदर्शन जारी रखने को होगा।