'मुद्रा' ने खड़ी की रोजगार देने वालों की फौज: अमित शाह
वित्त मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में करीब चार करोड़ उद्यमियों ने मुद्रा योजना से लोन प्राप्त किया जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह संख्या करीब साढ़े तीन करोड़ थी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नोटबंदी के बाद आए रिजर्व बैंक के आंकड़ों को देख भले ही विपक्ष आस्तीन चढ़ा रहा है और इसके जरिए रोजगार में कोई बढ़ोतरी न होने को मुद्दा बनाकर वह भाजपा और सरकार को घेरने की की तैयारी में हो। लेकिन अगले चुनाव में यही मुद्दा उन पर उलटा पड़ सकता है। विपक्ष संभवत: भाजपा की तैयारी से अनजान है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कहते हैं, 'मैं चाहता हूं कि विपक्ष नोटबंदी को मुद्दा बनाये।' रोजगार उपलब्ध कराने के सवाल पर उनका सीधा जवाब होता है, 'रोजगार गिनने बैठे तो विपक्ष घिर जाएगा। मुद्रा के जरिए 10 करोड़ से ज्यादा रोजगार पैदा किया जा चुका है। हां, नौकरी और रोजगार में फर्क समझना होगा।'
नोटबंदी से कई क्षेत्रों में नौकरियां जाने का आरोप विपक्ष भले ही लगाए लेकिन हकीकत यह है कि मोदी सरकार की लोकप्रिय 'मुद्रा' योजना ने दो साल के भीतर ही खुद का धंधा करने वाले और दूसरों को रोजगार देने वालों की फौज खड़ी कर दी है। मुद्रा योजना से शुरुआती दो वषरें में करीब साढे़ सात करोड़ उद्यमियों ने कर्ज लिया है। खास बात यह है कि इनमें करीब सवा दो करोड़ नए उद्यमी हैं जो अब तक नौकरी की तलाश में भटक रहे थे। साथ ही स्टार्टअप के रूप में पढ़े लिखे युवाओं को अन्य लोगों को नौकरी देने में सक्षम बनाने का काम किया है तो कौशल विकास के जरिए देश के युवा को नौकरियों के लायक बनाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना लांच की थी। इस योजना के तहत उद्यमियों को तीन कैटेगरी में दस लाख रुपये तक का लोन मुहैया कराया जाता है। शिशु श्रेणी में 50 हजार रुपये तक, किशोर श्रेणी में 50 हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक और तरुण श्रेणी में पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का लोन मिलता है।
इस तरह मुद्रा योजना को शुरु हुए अभी दो साल हुए हैं और इससे लाभ लेने वाले उद्यमियों का आंकड़ा करीब साढ़े सात करोड़ पहुंच गया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में करीब चार करोड़ उद्यमियों ने मुद्रा योजना से लोन प्राप्त किया जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह संख्या करीब साढ़े तीन करोड़ थी। विशेष बात यह है कि शुरुआती दो वर्ष में मुद्रा से लोन लेने वाले कुल उद्यमियों में लगभग तीन-चौथाई महिलाएं और करीब सवा दो करोड़ नए उद्यमी हैं। वहीं अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के उद्यमियों की संख्या भी अच्छी खासी है। वहीं स्टैंड अप इंडिया के तहत देशभर में बैंकों की सवा लाख से अधिक बैंक शाखाओं से प्रत्येक शाखा से कम से कम एक नए आदिवासी या अनुसूचित जाति के उद्यमी और एक नयी महिला उद्यमी को लोन मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है ताकि समाज के वंचित वर्ग के उद्यमी भी आसानी से अपना व्यवसाय शुरु कर सकें। इसके अलावा स्टार्ट अप नीति माध्यम से भी सरकार युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार अब तक चार हजार स्टार्ट अप को मान्यता दे चुकी है। इन स्टार्ट अप को सरकार आयकर में छूट जैसे प्रोत्साहन देगी। सरकार इन स्टार्ट अप कंपनियों को विभिन्न मदों में कुल 1,587 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
दरअसल स्वरोजगार को बढ़ावा देने की जरूरत इसलिए है क्योंकि सरकार की अधिकांश योजनाओं का लाभ बड़ी कंपनियां लेती हैं जबकि रोजगार देने में उनकी भूमिका सीमित रहती है। यही वजह है कि मोदी सरकार ने मुद्रा और स्टार्टअप योजनाओं के जरिए युवाओं को रोजगार मांगने वाले की जगह रोजगार देने वाला बनाने की कोशिश की है। युवाओं को नौकरी लायक बनाने के लिए अब तक करीब 30 लाख युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित किया जा चुका है।
(भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का विस्तृत साक्षात्कार कल जागरण राउंड टेबल में पढ़ें)
इनको मिला मुद्रा से लोन
वर्ष कुल उद्यमी महिला उद्यमी नये उद्यमी
2015-16 3,48,80,924 2,76,28,265 1,24,74,668
2016-17 3,97,01,047 2,91,46,894 99,89,470
योग 7,45,81,971 5,67,75,159 2,24,64,138
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