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आलोचक बने शाह के प्रशंसक, चुनावी नतीजों के बाद जोशी ने लिखा पत्र

सांसद मुरली मनोहर जोशी ने चुनावी नतीजों के बाद अमित शाह को पत्र लिखकर जीत की बधाई दी। शाह ने कहा है कि पांच राज्यों के चुनावी नतीजों को वह 2019 के परिदृश्य में देख रहे हैैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 19 May 2016 03:30 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2016 07:35 AM (IST)
आलोचक बने शाह के प्रशंसक, चुनावी नतीजों के बाद जोशी ने लिखा पत्र

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार की हार के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को कठघरे में खड़ा करने वाले मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और सांसद मुरली मनोहर जोशी अब उनके प्रशंसक हैैं। चुनावी नतीजों के बाद शाह को पत्र लिखकर उन्होंने जीत की बधाई दी। उन्होंने कहा कि पहली बार पार्टी कश्मीर से कन्याकुमारी और द्वारका से कामरूप तक सभी राज्यों में अपना अस्तित्व बना सकी है। वहीं, शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि पांच राज्यों के चुनावी नतीजों को वह 2019 के परिदृश्य में देख रहे हैैं।

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गुरुवार को नतीजा आने के बाद मीडिया से रूबरू शाह ने कहा कि यह कांग्र्रेस की नकारात्मक और अवरोधी राजनीति के खिलाफ वोट है। जबकि नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर है। उन्होंने केरल में खाता खुलने से लेकर दूसरे राज्यों में बढ़े वोट प्रतिशत व पिछले कुछ उपचुनावों में मिली जीत का जिक्र करते हुए कहा कि जनता भाजपा की ओर देख रही है। पांच राज्यों में जिस तरह जनता ने वोट दिया है, उससे यह स्थापित हो गया है कि पिछले 18 महीनों में भाजपा ने मजबूत आधार तैयार कर लिया है।

असम की जीत को खास बताते हुए उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इस प्रदेश का दस साल का पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रतिनिधित्व किया था। उस प्रदेश ने भाजपा पर विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि नतीजों ने कांग्र्रेस मुक्त भारत की ओर दो कदम और बढ़ा दिया है। यह कांग्र्रेस के लिए मंथन का विषय है। शाह का यह बयान उन आलोचकों के लिए जवाब था, जो उनके कामकाज और क्षमता को लेकर सवाल उठाते रहे थे।

बदलाव भी तत्काल दिखा। जोशी ने पत्र लिखकर उन्हें बधाई दी और कहा कि 'चुनाव में अपनाई गई रणनीति ने देश की राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। इससे आने वाले चुनावों और खासकर उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं में परिवर्तन का विश्वास जगा दिया होगा।

ध्यान रहे कि बिहार की हार के बाद जिन पांच नेताओं ने कामकाज और रणनीति पर सवाल उठाया था उसमें मुरली मनोहर जोशी भी एक थे।


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