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नोबल विजेता अमर्त्य सेन बोले, भारत से नहीं भारतीय शासन से हूं निराश

मशहूर अर्थशास्त्री और नोबल विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि वो भारत से नहीं बल्कि भारतीय शासन पद्धति से निराश हैं। एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनके दिल में भारत के विकास के लिए कुछ अलग विचार हैं। और वो बुनियादी मुद्दों से जुड़ा हुआ

By Lalit RaiEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2016 06:54 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2016 08:16 AM (IST)
नोबल विजेता अमर्त्य सेन बोले, भारत से नहीं भारतीय शासन से हूं निराश

नई दिल्ली। मशहूर अर्थशास्त्री और नोबल विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि वो भारत से नहीं बल्कि भारतीय शासन पद्धति से निराश हैं। एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनके दिल में भारत के विकास के लिए कुछ अलग विचार हैं। और वो बुनियादी मुद्दों से जुड़ा हुआ है। सेन ने कहा कि आज देश में किसी को भी राष्ट्र प्रगति से लेना-देना नहीं है। सिर्फ कुछ निहित फायदों के लिए देशहित को नजरंदाज किया जा रहा है।

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देश में असहिष्णुता और सहिष्णुता पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। हकीकत में प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य की अनदेखी की जा रही है। सेन ने कहा कि अक्सर उन पर आरोप लगाया जाता है कि वो कांग्रेस या यूपीए के समर्थक हैं लेकिन समय समय पर वो उन लोगों की भी आलोचना करते रहे हैं।

मनरेगा योजना पर उन्होंने कहा कि वो ये नहीं कहते कि ये एक बेकार योजना है। बल्कि इस योजना के द्वारा सामान्य लोगों की जिंदगी में बदलाव आए हैं।

सेन ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि इस सरकार ने गैस सब्सिडी को खत्म करने का अच्छा फैसला किया है। मौजूदा सरकार ने कई बेहतरीन फैसले किए हैं लेकिन जमीन पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में जब ये पूछा गया कि आखिर वो वीसी पद से क्यों हट गये तो उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती थी कि वो उस पद पर रहें। अगर मैं वहां रहता तो वो मेरे अहम के लिए ठीक होता लेकिन नालंदा विश्वविद्यालय का नुकसान होता।

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