तीनों चुनाव आयुक्तों को एक समान संरक्षण की मांग
तीनों चुनाव आयुक्तों को पद से हटाए जाने में समान संरक्षण दिये जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चुनाव आयोग को पूर्ण स्वायत्तता की अवधारणा को बल देने के लिए तीनों चुनाव आयुक्तों को पद से हटाए जाने में समान संरक्षण दिये जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि जिस तरह मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से हटाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटाए जाने की प्रक्रिया अपनाने का नियम है वही नियम बाकी दो चुनाव आयुक्तों को पद से हटाने के लिए भी अपनाया जाना चाहिए। यह याचिका दिल्ली प्रदेश भाजपा प्रवक्ता व सुप्रीम कोर्ट वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर बहस सुनने के बाद पक्षकार बनाई गई केन्द्र सरकार और चुनाव आयुक्त को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया। कोर्ट के पिछले आदेश का अनुपालन करते हुए मामले की सुनवाई में कोर्ट की मदद के लिए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल पेश हुए। वेणुगोपाल ने कहा कि इस मामले में उनके विचार अलग हो सकते हैं इसलिए केन्द्र सरकार को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाए।
अश्वनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग की स्वायत्ता बनाए रखने के लिए बाकी दो चुनाव आयुक्तों को पद से हटाने में वही प्रक्रिया और नियम होने चाहिए जो मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से हटाने के हैं। तीनों को समान संरक्षण मिलना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के टीएस शेषन मामले में दिये गए फैसले के मुताबिक तीनों चुनाव आयुक्त समान हैं। इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि विधि आयोग और गोस्वामी कमेटी की रिपोर्ट में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कोलीजियम की संस्तुति पर किये जाने की सिफारिश की गई थी। उसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश के संयोजन वाली तीन सदस्यीय कोलीजियम की सिफारिश पर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करेंगे।
उपाध्याय ने कहा है कि विधि आयोग और गोस्वामी कमेटी की रिपोर्ट की ये सिफारिश लागू होनी चाहिए। यह भी कहा है कि चुनाव आयोग को सक्षम बनाने के लिए गोस्वामी कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा राज्यसभा सचिवालय की तर्ज पर चुनाव आयोग का भी अलग सचिवालय होना चाहिए। साथ ही मांग की गई है कि चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट की तरह नियम बनाने का अधिकार दिया जाए ताकि वो चुनाव और आचार संहिता से संबंधित नियम बना सके। इसके अलावा चुनाव आयोग को और सशक्त करने के लिए जिन निर्देशों की जरूरत हो वे जारी किये जाएं।